Book Title: Gunsthan Vivechan Dhavla Sahit
Author(s): Yashpal Jain, Ratanchandra Bharilla
Publisher: Patashe Prakashan Samstha

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Page 267
________________ परिशिष्ट -2 गुणस्थानों में विशेष 1. जीवों की संख्या - 1. प्रथम गुणस्थान में जीवों की संख्या अनंतानंत है, यह तिर्यंच गति के स्थावर (केवल साधारण वनस्पति का भिन्न गति की अपेक्षा है।) जीवों की अपेक्षा से है। 2. द्वितीय गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। 3. तृतीय गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। 4. चतुर्थ गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। 5. पंचम गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण है, यह संख्या संज्ञी तिर्यंच की अपेक्षा कही गयी है। 6. प्रथम गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या जगत्श्रेणी के असंख्यातवें भाग प्रमाण है, यह संख्या अपर्याप्त मनुष्यों की अपेक्षा से है। 7. द्वितीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या बावन करोड़ है। 8. तृतीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा से संख्या एक सौ चार करोड़ है। 9. चतुर्थ गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा से संख्या सात सौ करोड़ है। 10. पंचम गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा से संख्या तेरह करोड़ है। 11. छठवें गुणस्थान में जीवों की संख्या पांच करोड़, तेरानवे लाख, अट्ठानवें हजार, दो सौ छह (5,93,98,206) है। 12. सातवें गुणस्थान में जीवों की संख्या दो करोड़, छियानवे लाख, निन्यानवे हजार, एक सौ तीन (2,96,99,103) है। 13. उपशमश्रेणी के आठवें, नौवें, दसवें, ग्यारहवें गुणस्थानों में क्रमश: (299,299,299, 299) जीव हैं / कुल मिलाकर उपशमश्रेणी के चारों गुणस्थानों में जीवों की संख्या 1196 है। संख्या 598, 598, 598, 598 प्रमाण है / क्षपकश्रेणी के चारों गुण स्थानों में जीवों की संख्या 2392 है। 608 जीवों की अपेक्षा भी है। 15. तेरहवें गुणस्थान में जीवों की संख्या आठ लाख, अट्ठानवें हजार, पाँच सौ दो (8,98,502) है।

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