________________ सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान सूक्ष्मसांपराय नाम का यह दसवाँ गुणस्थान है। चारित्रमोहनीय कर्म का साक्षात् उपशम या क्षय करनेवाला विशिष्ट सामर्थ्यवान गुणस्थान है। 86. प्रश्न : यह सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान बलवान या विशिष्ट सामर्थ्यवान किस अपेक्षा कहा गया है ? उत्तर : दसवें गुणस्थान को बलवान कहने की विवक्षा यह है कि सूक्ष्मलोभ का उपशम या क्षय करने की शक्ति न अपूर्वकरण में है और न अनिवृत्तिकरण में ही है। दसवें सूक्ष्मसांपराय में ही सूक्ष्मलोभ का नाश करने की सामर्थ्य है; अतः इसे बलवान कहा है। संज्वलन लोभ कषाय नियम से स्वोदयी प्रकृति होने से अन्त में ही स्वमुख से नष्ट होती है; यह भी स्मरण में रखना आवश्यक है। 87. प्रश्न : संज्वलन क्रोध, मान, माया और स्थूललोभ, क्या सूक्ष्मलोभ से बलहीन हैं ? उत्तर : हाँ, हैं ही; क्योंकि सूक्ष्मलोभ से पहले नौवें गुणस्थान में ही संज्वलन क्रोधादि का उपशम या क्षय हो जाता है। 88. प्रश्न : क्या संज्वलन कषायों से भी अनंतानुबंधी आदि कषायें बलहीन हैं ? इसे स्पष्ट करें। उत्तर : कबड्डी खेल के उदाहरण से इस प्रश्न का उत्तर जल्दी समझ में आ सकता है। खेल में जो पहले आउट/बाहर हो जाता है, उसे कमजोर खिलाड़ी माना जाता है और जो खेल के अन्त तक जमा रहता है, उसे बलवान व चतुर माना जाता है।