________________ 48 गुणस्थान विवेचन 98. प्रश्न : अन्य अपेक्षा योग के कौन-कौनसे और कितने भेद हैं ? उत्तर : कषाययोग और अकषाययोग - ये दो भेद हैं। * आलम्बन की अपेक्षा से मनोयोग, वचनयोग और काययोग - ऐसे तीन भेद होते हैं। * मनोयोग के 4, वचनयोग के 4 और काययोग के 7 ऐसे निमित्त की अपेक्षा से 15 भेद भी होते हैं। * वास्तविकरूप से देखा जाय तो योग एक ही प्रकार का है। 99. प्रश्न : गमनागमन का क्या अर्थ है ? उत्तर : गमन का अर्थ जाना, आगमन का अर्थ है आना। * जीव के एक गुणस्थान से दूसरे गुणस्थान में जाने-आने के अर्थ में गमनागमन शब्द का प्रयोग किया जाता है / (गो.क.का. गाथा 556 से 559) 100. प्रश्न : शुभोपयोग किसे कहते हैं ? उत्तर : जो उपयोग परम भट्टारक देवाधिदेव परमेश्वर ऐसे अरहंत, सिद्ध तथा साधु की श्रद्धा करने में व समस्त जीव समूह की अनुकंपा का आचरण करने में प्रवृत्त है, वह शुभोपयोग है / (प्रवचनसार गाथा-१५७) 101. प्रश्न : अशुभोपयोग किसे कहते हैं ? उत्तर : जो उपयोग परम भट्टारक देवाधिदेव परमेश्वर ऐसे अरहंत, सिद्ध तथा साधु के अतिरिक्त अन्य उन्मार्ग की श्रद्धा करने में तथा विषय, कषाय, कुश्रवण, कुविचार, कुसंग और उग्रता का आचरण करने में प्रवृत्त है, वह अशुभोपयोग है / (प्रवचनसार गाथा-१५ की टीका) ___ 102. प्रश्न : शुद्धोपयोग किसे कहते हैं ? उत्तर : 1. जो उपयोग परद्रव्य में मध्यस्थ होता हुआ परद्रव्यानुसार परिणति के अधीन न होने से शुभ तथा अशुभरूप अशुद्धोपयोग से मुक्त होकर मात्र स्वद्रव्यानुसार परिणति को ग्रहण करता है, वह शुद्धोपयोग है। (प्रवचनसार गाथा 159 की टीका) 2. इष्ट-अनिष्ट बुद्धि के अभाव ज्ञान ही में उपयोग लागै, ताको शुद्धोपयोग कहिए / सो ही चारित्र है। (जयचंदजी छाबड़ा मोक्षपाहुड 72 गाथा) 3. चित्तनिरोध, शुद्धोपयोग, साम्य, स्वास्थ्य, समाधि और योग ये सर्व शब्द एक ही अर्थ के वाचक हैं। (पद्मनंदि पंचविंशतिका, गाथा-६४)