________________ 40 गुणस्थान विवेचन कर्मों के सत्ता में रहने को सदवस्थारूप उपशम कहते हैं। * उदय का अभाव ही अप्रशस्त उपशम है। अनंतानुबंधी का अप्रशस्त उपशम ही होता है। 51. प्रश्न : घातिकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जीव के ज्ञानादि अनुजीवी गुणों के घात में अर्थात् ज्ञानादि गुणों की पर्यायों के व्यक्त न होने में निमित्त होनेवाले कर्म को घातिकर्म कहते हैं। __ आठ कर्मों में ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अंतराय कर्म घातिकर्म हैं। * घाति कर्मों के दो प्रकार है-सर्वघाति व देशघाति / 52. प्रश्न : सर्वघाति कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जीव के ज्ञानादि गुणों के अर्थात् (केवलज्ञान-केवलदर्शन) पर्यायों के पूर्णत: घात में निमित्त होनेवाले कर्म को सर्वघाति कर्म कहते हैं। 53. प्रश्न : सर्वघाति प्रकृतियाँ कौन-कौनसी और कितनी हैं ? उत्तर : 1. केवलज्ञानावरण, 2. केवलदर्शनावरण, 3. निद्रा, 4. निद्रा-निद्रा, 5. प्रचला, 6. प्रचला-प्रचला, 7. स्त्यानगृद्धि, 8-11. अनंतानुबंधी चतुष्क, 12-15. अप्रत्याख्यानावरण चतुष्क, 16-19. प्रत्याख्यानावरण चतुष्क, 20. मिथ्यात्वदर्शनमोहनीय, 21. सम्यग्मिथ्यात्वदर्शनमोहनीय - ये 21 प्रकृतियाँ सर्वघाति हैं। 54. प्रश्न : देशघाति कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जीव के ज्ञानादि गुणों/पर्यायों के एकदेश अर्थात् अंशत: घात में निमित्त होनेवाले कर्म को देशघाति कर्म कहते हैं। 55. प्रश्न : देशघाति प्रकृतियाँ कौन-कौनसी और कितनी हैं ? उत्तर : 1. मतिज्ञानावरण, 2. श्रुतज्ञानावरण, 3. अवधिज्ञानावरण, 4. मन:पर्यय-ज्ञानावरण, 5. चक्षुदर्शनावरण, 6. अचक्षुदर्शनावरण, 7. अवधि-दर्शनातरण, 8. सम्यक्त्व-प्रकृति, 9-12. संज्वलन चतुष्क, 13-21. हास्याः नो नोकषाय, 22. दानान्तराय, 23. लाभान्तराय, 24. भोगान्तराय, 25. उपभोगान्तराय और 26. वीर्यान्तराय - ये 26 प्रकृतियाँ देशघाति हैं। 56. प्रश्न : अविभागी-प्रतिच्छेद किसे कहते हैं ? उत्तर : शक्ति के अविभागी अंश को अविभागी-प्रतिच्छेद कहते