Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र අපසසසසසසසසසසසසසළපසුපස පසළසුසසසසසසසසසසසසසසසසසුපුසසසසඳා खलु भो माहणा वयंति, सद्धेयं खलु भो समणा माहणा वयंति, अहं एगो असद्धेयं वयामि, एवं खलु अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ? सह मित्तेहिं अमित्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ? एवं अत्थेणं दारेणं दासेहिं (पेसेहिं) परिजणेणं एवं खलु तेयलिपुत्तेणं अमच्चेणं कणगज्झएणं रण्णा अवज्झाएणं समाणेणं तेयलीपुत्तेणं अमच्चेणं तालपुडगे विसे आसगंसि पक्खित्ते, से वि य णो संकमइ, को मेयं सद्दहिस्सइ? तेयलिपुत्ते णीलुप्पल जाव खंधंसि ओहरिए, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला, को मेदं सहहिस्सइ? तेयलिपुत्तस्स पासगं गीवाए बंधेत्ता जाव रजू छिण्णा, को मेदं सद्दहिस्सइ? तेयलिपुत्ते महासिलयं जाव बंधित्ता अत्थाह जाव उदगंसि अप्पामुक्के, तत्थ वि य णं थाहे जाए, को मेयं सद्दहिस्सइ? तेयलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडे अग्गी विज्झाए, को मेयं सहहिस्सइ? ओहयमण-संकप्पे जाव झियाइ।
भावार्थ - तब तेतली पुत्र ने मन ही मन इस प्रकार सोचा-श्रमण जो कहते हैं, वह श्रद्धा योग्य है। माहण - ब्राह्मण-ब्रह्मवेता-ज्ञानीजन जो कहते हैं, वह श्रद्धा योग्य है। श्रमण और ब्राह्मण जो कहते हैं, वह निःसंदेह श्रद्धा योग्य है। मैं ही एक ऐसा हूँ, जिसका कथन अश्रद्धेय है। मैं पुत्र, मित्र तथा स्त्री युक्त होता हुआ भी इनसे रहित हूँ, इस पर कौन विश्वास करेगा? राजा कनकध्वज के विपरीत विचार युक्त होने पर तेतली पुत्र ने मुंह में तालपुट विष डाल लिया, इस बात पर कौन विश्वास करेगा? ___ तेतलीपुत्र ने नील आभायुक्त, तीक्ष्ण तलवार से कंधे पर प्रहार किया, तलवार की धार कुंठित हो गई, इसे कौन मानेगा?
तेतलीपुत्र ने गले में फंदा डालकर अपने को पेड़ पर लटका दिया, रस्सी टूट गई, ऐसा कौन स्वीकारेगा?
तेतलीपुत्र ने गले में शिला बांधकर यावत् अपार जल में अपने आपको डाल दिया, वह जल छिछला हो गया, इसे कौन सत्य मानेगा?
तेतली पुत्र ने शुष्क घास के ढेर में आग लगाकर स्वयं को उस में डाल दिया। आग शांत हो गई, इस पर कौन श्रद्धा करेगा?
इस पर टूटे हुए मन से निराश होता हुआ यावत् वह आर्तध्यान में लग गया।
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