Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 376
________________ सप्तम वर्ग - प्रथम अध्ययन 3000 सप्तम वर्ग सूत्र - १ भावार्थ - सातवें वर्ग का उपोद्घात पूर्ववत् योजनीय है । आर्य जंबू के प्रश्न का समाधान करते हुए सुधर्मा स्वामी ने कहा सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता तंजहा- सूरप्पभा आयवा अच्चिमाली पभंकरा । वर्ग के चार अध्ययन बतलाए गए हैं, जो इस प्रकार हैं. - सूर्यप्रभा, आतपा, अर्चिमाली तथा प्रभंकरा । प्रथम अध्ययन Jain Education International ३४७ **********X सूत्र - २ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । हे जंबू! यावत् सातवें भावार्थ - यहाँ प्रथम अध्ययन का उपोद्घात पूर्ववत् योजनीय है। श्री सुधर्मा स्वामी ने जंबू के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा - हे जंबू ! उस काल उस समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी राजगृह नगर में पधारे यावत् विशाल जनसमूह दर्शन, वंदन हेतु आया, धर्मोपदेश सुना, पर्युपासनारत हुआ । For Personal & Private Use Only सूत्र - ३ तेणं कालेणं तेणं समएणं सूरप्पभा देवी सूरंसि विमाणंसि सूरप्पभंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए तहा णवरं पुव्वभवो अरक्खुरीए णंयरीए सूरप्पभस्स गाहावइस्स सूरसिरीए भारियाए सूरप्पभा दारिया सूरस्स अग्गमहिसी ठिई अद्धपलिओवमं पंच वाससएहिं अब्भहियं सेसं जहा कालीए । } www.jainelibrary.org

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