Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 380
________________ नवम वर्ग - प्रथम अध्ययन ३५१ Ecccccccccccccccccccccccccccccccccccc नवम वर्ग सूत्र-१ णवमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू! जाव अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता तंजहा-पउमा सिवा सई अंजू रोहिणी णवमिया (इय) अचला अच्छरा। भावार्थ - नवम अध्ययन. का उपोद्घात पूर्वानुरूप यथावत् योजनीय है। . आर्य सुधर्मा स्वामी ने जंबू स्वामी की जिज्ञासा का समाधान करते हुए कहा कि - हे . जंबू! यावत् नवम् वर्ग के आठ अध्ययन प्रज्ञप्त हुए हैं, वे इस प्रकार हैं - १. पद्मा २. शिवा ३. शची ४. अंजू ५. रोहिणी . ६ नवमिका ७. अचला ८. अप्सरा प्रथम अध्ययन पद्मादेवी सूत्र-२ सूत्र पढमज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणंसि जहा कालीए। भावार्थ - प्रथम अध्ययन का उत्क्षेप पूर्वानुसार यथावत् योजनीय है। आर्य सुधर्मा स्वामी बोले - हे जंबू! उस काल, उस समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी राजगृह नगर में समवसृत हुए। वंदन, नमन हेतु परिषद् आई, धर्मोपदेश सुना, पर्युपासनारत हुई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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