Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
पंचम वर्ग - प्रथम अध्ययन
*********¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤
Soccer
भावार्थ उस काल, उस समय कमला राजधानी में कमलावतंसक भवन में, कमल संज्ञक सिंहासन पर कमलादेवी समासीन थी । उसका अवशिष्ट वर्णन काली देवी की तरह योजनीय है।
-
उसके पूर्वभव के वृत्तांत की विशेषता यह है
-
Jain Education International
३४५
नागपुर नामक नगर में सहस्त्राम्रवन नामक उद्यान था । वहाँ कमल नामक गाथापति था। उसकी पत्नी का नाम कमलश्री था। उसके कमला नामक पुत्री थी। वह भगवान् पार्श्वनाथ की सेवा में उपस्थित हुई। धर्मोपदेश श्रवण कर प्रव्रजित हुई ।
अंततः साधनापूर्वक देह त्याग कर, वह काल नामक पिशाचकुमारेन्द्र की प्रधान देवी के रूप में उत्पन्न हुई। वहाँ उसकी स्थिति अर्द्धपल्योपम बतलाई गई है।
शेष इकतीस अध्ययन दक्षिणदिशावर्ती वाणव्यंतर इन्द्रों की अग्रमहीषियों के कहे गए हैं। इनके पूर्वभव का वृत्तांत इस प्रकार हैं -
नागपुर नगर में ये सभी उत्पन्न हुईं इनके माता-पिता के नाम पुत्रियों के नाम सदृश थे । सहस्त्राम्रवन उद्यान में वे प्रव्रजित हुईं। साधनापूर्वक मरण प्राप्त कर वाणव्यंतर देवों की अग्रमहीषियों के रूप में उत्पन्न हुई। वहां इनके देव भव की स्थिति आधे-आधे पल्योपम की बतलाई गई है। इस प्रकार पंचम वर्ग का समापन होता है।
॥ पांचवाँ वर्ग समाप्त ॥
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org