Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 373
________________ ३४४ ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध ccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccc प्रथम अध्ययन .. कमलादेवी सूत्र-२ उक्खेवओ पढमज्झयणस्स। एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। ___ भावार्थ - प्रथम अध्ययन का उपोद्घात यहाँ पूर्ववत् योजनीय है। श्री सुधर्मा स्वामी ने जंबू से कहा-उस काल, उस समय राजगृह नगर में भगवान् महावीर स्वामी पधारे यावत् परिषद् आई, धर्मोपदेश सुना, पर्युपासनारत हुई। सूत्र-३ तेणं कालेणं तेणं समएणं कमला देवी कमलाए रायहाणीए कमलवडेंसए भवणे कमलंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए तहेव णवरं पुव्वभवे णागपुरे णयरे सहसंबवणे उज्जाणे कमलस्स गाहावइस्स कमलसिरीए भारियाए कमला दारिया पासस्स अंतिए णिक्खंता कालस्स पिसायकुमारिंदस्स अग्गमहिसी अद्धपलिओवमं ठिई। शेष अध्ययन सूत्र-४ एवं सेसा वि अज्झयणा दाहिणिल्लाणं वाणमंतरिंदाणं भाणियव्वाओ (सव्वाओ) णागपुरे सहसंबवणे उजाणे मायापियरो धूया सरिसणामया ठिई अद्ध पलिओवमं। पंचमो वग्गो समत्तो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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