Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text ________________
पंचम वर्ग - प्रथम अध्ययन
३४३ SHOOCOCCECccccccccccccccccccccccccc00000000ccasex
पंचम वर्ग
सूत्र-१ पंचमवग्गस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू! जाव बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता तंजहाकमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा। रूववई बहुरूवा, सुरूवा सुभगा वि य॥१॥ पुण्णा बहुपुत्तिया चेव, उत्तमा भारिया वि य। पउमा वसुमई चेव, कणगा कणगप्पभा॥२॥ वडेंसा केऊमइ चेव, वइरसेणा रइप्पिया। रोहिणी णवमिया चेव, हिरी पुप्फवई (ति) वि य॥३॥ भुयगा भुयगवई चेव, महाकच्छाऽपराइया। सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सई॥४॥ भावार्थ - पंचम वर्ग का उपोद्घात पूर्ववत् योजनीय है।
सुधर्मा स्वामी ने कहा - हे जंबू! यावत् पंचम वर्ग के बत्तीस अध्ययन परिज्ञापित हुए हैं, वे इस प्रकार हैं - १. कमला २. कमलप्रभा ३. उत्पला
४. सुदर्शना ५. रूपवती ६. बहुरूपा . ७. सुरूपा
८. सुभगा ६. पूर्णा १०. बहुपुत्रिका ११. उत्तमा । १२. भारिका १३. पद्मा. १४. वसुमती . १५. कनका १६. कनकप्रभा १७. अवतंसा १८. केतुमति १९. वज्रसेना २०. रतिप्रिया , २१. रोहिणी २२. नवमिका २३. ही २४. पुष्पवती
२५. भुजगा २६. भुजगवती २७. महाकच्छा २८. अपराजिता २६. सुघोषा . ३०. विमला ३१. सुस्वरा ३२. सरस्वती।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386