Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 297
________________ २६८ 100 ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ********** चक्खिंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवड़ दोसो । जं जलणंमि जलंते पडइ पयंगो अबुद्धीओ ॥४॥ अगरुवरपवरधूवण उउयमल्लाणु - लेवण - विहीसु । गंधेसु रजमाणा रमंति घाणिंदियवसट्टा ॥५॥ घाणिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं ओसहि गंधेणं बिलाओ णिद्धावई उरगो ॥६॥ तित्त कडुयं कसायं महुरं बहुखज्जपेज्जलेज्झेसु । सायंमि उ गिद्धारमंति जिब्भिंदियवसट्टा ॥७ ॥ जिब्भिंदियदुद्दतत्तणस्स अह एतिओ हवड़ दोसो । जंगललग्गुखित्तो फुरइ थलविरेल्लिओ मच्छो ॥८॥ उउभय माणसुहेसु य सविभवहिययमणणिव्वुइकरेसु । फासेसु रजमाणा मंति फासिंदियवसट्टा ॥ ६॥ फासिंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहकुंसो तिक्खो ॥ १० ॥ कलरिभियमहुर तंतीतलतालवंसकउहाभिरामेसु । सद्देसु जेण गिद्धा वसट्ट मरणं ण ते मरए ॥ ११॥ थणजहण वयणकरचरणणयणगव्विंय विलासियगईसु । रूवेसु जेण रत्ता वसट्टमरणं ण ते मरए ॥ १२ ॥ अगरुवरपवरधूवणउउयमल्लाणु- -लेवण - विहीसु । गंधे जेण गिद्धा वसट्टमरणं ण ते मरए ॥१३॥ तित्तकडुयं कसायं महुरं बहुखजपेजलेज्झेसु । आसायंमि ण गिद्धा वसट्टमरणं ण ते मरए ॥१४ ॥ उउभयमाण सुहेसु य सविभवहिययमण- णिव्वुइकरेसु । फासेसु जे ण गिद्धा वसट्टमरणं ण ते मरए ।। १५ ।। Jain Education International For Personal & Private Use Only 300000a www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386