Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध SECREGREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEaccorncomcEEX छोटी आयु में भी वृद्धा लगती थी। इसीलिए उसे सभी वृद्धकुमारी जीर्णकुमारी कहते थे। उसका नितंब प्रदेश तथा स्तन भाग लटक गए थे। कोई भी पुरुष उसका पति बनने को राजी नहीं था। . भगवान् पार्श्व का पदार्पण
सूत्र-१४ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा वद्धमाणसामी णवरं णवहत्थुस्सेहे सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अट्टत्तीसाए अजियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे जाव अंबसालवणे समोसढे। परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ।
शब्दार्थ - पुरिसादाणीए - पुरुषों में उत्तम-आदेय नाम कर्म युक्त।
भावार्थ - उस काल, उस समय पुरुषादानीय आदिकर तीर्थंकर भगवान् पार्श्वनाथ जिनकी विशेषताएं भगवान् महावीर स्वामी जैसी थी, केवल इतना अंतर था-वे नौ हाथ ऊंचे, सोलह हजार साधुओं एवं अड़तीस हजार साध्वियों से घिरे हुए थे यावत् आमलकल्पा नगरी के आम्रशालवन में पधारे। ___दर्शन, वंदन हेतु परिषद् आई, धर्मोपदेश सुना यावत् उनकी पर्युपासना-सान्निध्य लाभ करने लगी।
काली द्वारा दर्शन, वंदन
सूत्र-१५ तए णं सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हट्ट जाव हियया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासीएवं खलु अम्मयाओ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जाव विहरइ, तं इच्छामि णं अम्मयाओ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी पासस्स (णं) अरहओ पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंध करेहि।
भावार्थ - गाथापति कन्या ने जब यह सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुई यावत् उसके हृदय में
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