Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 366
________________ द्वितीय वर्ग - अध्ययन २-५ ३३७ GOccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccx द्वितीय अध्ययन से पंचम अध्ययन तक सूत्र-७ .. एवं सेसावि चत्तारि अज्झयणा। सावत्थीए। णवरं-माया-पिया सरिसणामया। एवं खलु जंबू! णिक्खेवओ बिइयवग्गस्स। भावार्थ - शेष चारों अध्ययन पूर्वोक्त प्रकार से बतलाए गए हैं। श्रावस्ती नगरी चारों में ही कथनीय है। अंतर इतना सा है कि प्रत्येक अध्ययन में माता-पिता का नाम अध्ययनानुरूप ही जानना चाहिए। ___ आर्य सुधर्मा स्वामी बोले - हे जंबू! इस प्रकार द्वितीय वर्ग संपन्न होता है-यह द्वितीय वर्ग का निक्षेप सार-संक्षेप है। ॥२-५ चारों अध्ययन समाप्त। ... || द्वितीय वर्ग समाप्त॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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