Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र පපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපපුද कंपिल्लपुरे णामं णयरे होत्था वण्णओ। तत्थ णं दुवए णामं राया होत्था वण्णओ। तस्स णं चुलणी देवी धट्ठज्जुणे कुमारे जुवराया।
भावार्थ - उस काल, उस समय इसी जंबू द्वीप में भारत वर्ष में, पांचाल जनपद में, कांपिल्यपुर नामक नगर था। वहाँ के राजा का नाम द्रुपद था। नगर और राजा का वर्णन
औपपातिक सूत्र के अनुसार यहाँ योजनीय है। द्रुपद की पटरानी चुलनीदेवी थी। कुमार धृष्टद्युम्न युवराज था।
(८१) तए णं सा सूमालिया देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव जंबूद्दीवे २ भारहे वासे पंचालेसु जणवएसु कंपिल्लपुरे णयरे दुवयस्स रण्णो चुलणीए देवीए कुच्छिसि दारियत्ताए पच्चायाया। तए णं सा चुलणी देवी णवण्हं मासाणं जाव दारियं पयाया।
भावार्थ - देवी सुकुमालिका आयु क्षय यावत् भव क्षय होने पर, उस देवलोक से च्यवन कर, इसी जंबूद्वीप, भारतवर्ष पांचाल जनपद-कांपिल्यपुर नगर में रानी चुलनीदेवी की कोख में, राजा द्रुपद की पुत्री के रूप में आई। वहाँ नौ महीने पूरे होने पर यावत् उसने कन्या के रूप में जन्म लिया।
(८२) तए णं तीसे दारियाए णिव्वत्तबारसाहियाए इमं एयारूवं० णामं० - जम्हा णं एसा दारिया दुवपयस्स रण्णो धूया चुलणीए देवीए अत्तया तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए णामधिज्जे दोवई। तए णं तीसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गुण्णं गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंति दोवई।
भावार्थ - तदनंतर जन्म के बारहवें दिन उसके नाम के संबंध में विचार चला - यह बालिका चुलनी की आत्मजा, राजा द्रुपद की पुत्री है। अतः पिता के नामानुरूप इसका नाम द्रौपदी रखा जाए। यह सोचकर उसके माता-पिता ने उसका उत्तम, गुण निष्पन्न 'द्रौपदी' नाम रखा।
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