Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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आकीर्ण नामक सतरहवां अध्ययन - अकस्मात कालिकद्वीप पहुँचने का संयोग २६१ KacccccccccccccccccccccccccccccccccccccSODEESEX सिलावट्ठाण य जाव हंस गब्भाण य अण्णेसिं च फासिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं जाव भरेंति।
शब्दार्थ - खंडस्स - खांड, गुलस्स - गुड़, मच्छंडियाए - कालपी मिश्री, पुप्फुत्तरपउमुत्तर - विविध प्रकार के गुलकंद, कोय वयाण - रुई से बने वस्त्र, पावरणाण - चद्दरें, णवतयाण - ऊन की बनी काठियाँ, मलयाण - मलयदेश में निर्मित वस्त्र विशेष, मसूराणमसनद-गोलाकार आसन विशेष, सिलावट्टाण - पट्टों के आकार की चिकनीशिलाएं, हंस गम्भाणरेशम के कीड़ों से बने श्वेत वस्त्र, फासिंदिय पाउग्गाणं - स्पर्शनेन्द्रिय के प्रयोग में आने वाले।
भावार्थ - उन्होंने फिर काले यावत् सफेद आदि बहुत रंगों के काष्ठ कर्म-काष्ठ पट्टों पर, कागजों पर बनाए गए चित्र, मृतिका से बनाए गए विभिन्न आकार यावत् ग्रथित, वेष्टित, संघातित-विविध प्रकार से योजित चक्षु इन्द्रियों के लिए रुचिकर विभिन्न द्रव्यों से गाड़ी-गाड़े भरे। फिर उन्होंने कोष्ठ, केतकी यावत् विविध पदार्थों के परिपाक द्वारा तैयार किए गए, घ्राणेन्द्रियों को प्रिय लगने वाले सौगंधिक द्रव्य गाड़े-गाड़ियों में रखे।
पुनश्च बहुत सी खांड, गुड़, शक्कर, मिश्री, कालपी मिश्री, विविध प्रकार के गुलकंद आदि और भी बहुत से रसनेन्द्रिय को प्रिय लगने वाले द्रव्य गाड़ी-गाड़ों में भरे। ___ वैसा करने के उपरांत उन्होंने रुई से बने वस्त्र, कंबल, ओढने के चद्दर, ऊन की बनी काठिया-जीन, मलय देश में निर्मित वस्त्र विशेष मसनद, चिकने सिलापट्टक यावत् रेशम के कीड़ों से बने श्वेत वस्त्र तथा और भी स्पर्शनेन्द्रिय को मनोज्ञ प्रतीत होने वाले द्रव्य गाड़ी-गाड़ों
में लादे।
(१६) - भरित्ता सगडी सागडं जोएंति २ ता जेणेव गंभीरए पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति० सगडी सागडं मोएंति २ त्ता पोयवहणं सजेंति २ त्ता तेसिं उक्किट्ठाणं सद्दफरिसरसरूवगंधाणं कट्टस्स य तणस्स य पाणियस्स य तंदुलाण य समियस्स य गोरसस्स य जाव अण्णेसिं च बहूणं पोयवहण पाउग्गाणं पोयवहणं भरेंति। . शब्दार्थ - समियस्स - आटा, गोरसस्स - गोघृत आदि। भावार्थ - उपर्युक्त सभी द्रव्यों से भरे हुए उन गाड़ी-गाड़ों को जोता। जोतकर जहाँ गंभीर
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