Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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अपरकंका नामक सोलहवां अध्ययन - स्वयंवर विषयक निर्देश १८७ xxxxxxxxxxxxxxxxxx
(१०६) तए णं से दुवए राया कोडुंबियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! वासुदेव पामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे करेह। ते वि करेत्ता पच्चप्पिणंति।
भावार्थ - तदनंतर राजा द्रुपद ने फिर कौटुंबिक पुरुषों को बुलाया और आदेश दियादेवानुप्रियो! शीघ्र ही वासुदेव कृष्ण आदि सहस्रों राजाओं के ठहरने के आवास की व्यवस्था करो। उन्होंने राजाज्ञानुरूप सारी व्यवस्था कर राजा को सूचना दी।
- (११०) ... तए णं से दुवए राया वासुदेव पामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आगमं जाणेत्ता पत्तेयं २ हत्थिखंध जाव परिवुडे अग्धं च पजं च गहाय सव्विड्डीए कंपिल्लपुराओ णिग्गच्छइ २ त्ता जेणेव ते वासुदेव पामोक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ताई वासुदेवपामोक्खाई अग्घेण य पजेण य सक्कारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता तेसिं वासुदेव पामोक्खाणं पत्तेयं २ आवासे वियरइ।
भावार्थ - राजा द्रुपद ने जब यह जाना कि कृष्ण वासुदेव आदि सहस्रों राजा पहुँच गए हैं, तब हार्थी पर सवार होकर अपने योद्धाओं से घिरा हुआ अर्घ्य-सत्कार सामग्री पाद-चरण प्रक्षालन हेतुं जल लेकर अत्यंत ऋद्धि वैभव पूर्वक कांपिल्यपुर से निकला। जहाँ वासुदेव आदि बहुत से राजा ठहरे हुए थे, वहाँ आया। उनका अर्घ्य, पाद्य द्वारा सत्कार सम्मान किया। प्रत्येक के लिए पृथक्-पृथक् आवास की व्यवस्था की।
(१११) तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति २ हत्थिखंधाहिंतो पच्चोरुहंति २ त्ता पत्तेयं खंधावारणिवेसं करेंति २ त्ता सएसु २ आवासेसु अणुप्पविसंति २ त्ता सएसु २ आवासेसु य आसणेसु य सयणेसु य सण्णिसण्णा य संतुयट्टा य बहूहि गंधव्वेहि य णाडएहि य उवगिजमाणा य उवणच्चिजमाणा य विहरंति।
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