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Anon-ANAAD
१० श्रीचतुर्विंशतिजिनस्तुति । वासायचित्तैस्तव नाममंत्रं
सर्वांश्च विद्याः स्मरतां जनानाम् । सर्वे च देवाव रधीरवीराः
स्वराज्यलक्ष्म्यश्च वशीभवन्ति ॥८॥
अर्थ- हे प्रभो ! जो पुरुष मन वचन कायसे आपके __नामरूपी मंत्रको स्मरण करते हैं उनके समस्त विद्याएं वशीभूत __ हो जाती हैं, श्रेष्ठ और धीर वीर सब देव वश हो जाते हैं
और मोक्षरूपी स्वराज्यलक्ष्मी वश हो जाती हैं।