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श्रीशान्तिसागरचरित्र। ३ तत्र पाटीलकुलजो विख्यातो भुवि सुंदरः। भीमगौडः सुधर्मज्ञो जिनपूजापरायणः ॥८॥
अर्थ- उस चतुर्थ जातिमें एक भीमगौडा नामके भूमिपति थे, जो पाटीलकुलमें उत्पन्न हुए थे, संसारमें प्रसिद्ध थे, सुदर थे, श्रेष्ठ जिनधर्मके जानकार थे और जिनपूजा करनेमें सदा तत्पर रहते थे। तस्य पत्नी प्रिया जाता श्रेष्ठपुत्रप्रदा सती। नाम्ना सत्यवती रम्या वर माग्यवती परा ॥९॥
अर्थ- उसकी धर्मपत्नीका नाम सत्यवती था, वह सत्यवती अत्यंत प्रिय थी, श्रेष्ठ पुत्रोंकी जननी थी, अन्यंत शीलवती थी, मनोहर थी, सौभाग्यवती थी और सबसे श्रेष्ठ थी। चत्वारश्च तयोः पुत्रा मातास्ते पुण्यशालिनः। देवगौड आदिगौडः सातगोडस्तृतीयकः ॥१०॥ कुम्भगौडश्चतुर्थोऽस्ति सर्वे धर्मपरायणाः । तेषु श्रीसातगौडाख्यः पुत्रो नरशिरोमणिः ॥११॥
अर्थ- उन दोनों के चार पुत्र हुए थे, देवगौडा, आदिगौडा, सातगौडा और कुरभगौडा उनके नाम थे। ये सब पुत्र पुण्यात्मा थे और धर्ममें तत्पर थे। इन चारोमें भी तीसरा सातगोडा नामका पुत्र सब मनुष्योंका शिरोमणी है।