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श्रीशान्तिसागरचरित्र । तत्रापि बहवो देशा धर्मकर्मपरायणाः । किन्तु दक्षिणदेशश्च श्रेष्ठो धर्मप्रपालकः ॥४॥
___ अर्थ- उस आर्यखण्डमें धर्मकर्ममें तत्पर रहनेवाले बहुतसे देश हैं किंतु धर्मको पालन करनेवाला दक्षिणदेश सबसे
तत्र भोजपुरं ग्रामं बेल्लग्रामसमीपगम् । सुन्दरं श्रीजिनागार शिवरैः सद्ध्वजैरपि ॥५॥
अर्थ- उस दक्षिणदेशमें वेलगांवके समीप एक भोजपुर नामका गांव है । वह गांव जिनभवनोंके शिखरोसे तथा श्रेष्ठ ध्वजाओंसे बहुत ही सुंदर जान पडता है । धान्यादिशोभितैः क्षेत्रैवृक्षैः परमसुन्दरैः। उच्चैधरैरुदकनदीभिश्चित्तहारकम् ॥६॥ ___अर्थ-- वह भोजपुर गांव धान्यादिकसे सुशोभित होनेवाले खेतोंसे, अत्यंत सुदर वृक्षोसे, ऊंचे ऊंचे पर्वतोसे और जलसे भरी हुई नदियोसे सब जीवोंके चित्तको हरण करता है। तस्मिन् भोजपुरेप्यस्ति शुद्धजातिश्चतुर्थिका । मोक्षमार्गरता नित्यं धर्मकर्मपरायणा ॥७॥
अर्थ- उस भोजपुग्में एक चतुर्थ नामकी शुद्ध जाति रहती है । वह जाति सदा सोक्षमार्गमें लीन रहती है और धर्मकर्ममें तत्पर रहती है।