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श्रीसुमतिनाथस्तुति ।
श्री सुमतिनाथस्तुति ।
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मातुः सुमंगलायाश्च मेघभूपाज्जगत्पितुः । जातस्सुमतिनाथोऽयं लोके सुमतिदायकः ॥ १ ॥
अर्थ - भगवान् सुमतिनाथ स्वामी जगत्माता महारानी सुमंगला और जगतपिता महाराजा मेघप्रभुके पुत्र हैं और संसारभर में श्रेष्ठ बुद्धिको देनेवाले हैं ।
त्वया प्रणीतैर्भवति स्वतत्वैनिजात्मशुद्धिः परलोकसिद्धिः । त्वदन्यतत्वैर्न च कापि सिद्धि
यथार्थसंज्ञोखि गुणैश्च नाम्ना ॥२॥
अर्थ —- हे भगवन् सुमतिनाथ परमदेव ! आपने जिन जीवादिकतत्वोंका निरूपण किया है उनसे अपने आत्माकी शुद्धि होती है और परलोककी सिद्धी होती है। आपके शिवाय अन्य लोगोंके कहे हुए तत्वोंसे किसी बातकी सिद्धी नहीं होती । इसीलिये हे सुमतिनाथ ! आपकी यह संज्ञा गुणोंसे भी यथार्थ है और नामसे भी यथार्थ है ।
सापेक्षतत्वं नयशास्त्रसिद्धं त्वया प्रणीतं निजबोधकं च ।