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श्रीचन्द्रप्रभजिनस्तुति । श्रीचन्द्रप्रभजिनस्तुति ।
लक्ष्मणायाः क्षमावत्या महासेनस्य धीमतः। चन्द्रप्रभो दयासिंधुर्जातो विघ्नविनाशकः॥१॥
__ अर्थ- क्षमाको धारण करनेवाली महारानी लक्ष्मणा और अत्यंत बुद्धिमान महाराज महासेनसे समस्त विघ्नोंकों नाश करनेवाले और दयाके समुद्र भगवान चन्द्रप्रभ उत्पन्न हुए हैं।
चन्द्रप्रभस्त्वं परम पवित्रो
__ भव्याशयानां भवरोगहर्ता । मिथ्याप्रतापं शमितुं समर्थ
स्ततस्त्वमेवासि यथार्थचन्द्रः ॥२॥ अर्थ- हे भगवन् चन्द्रप्रभ परमदेव ! आप सर्वोत्कृष्ट हैं, पवित्र हैं, भव्य जीवोंके संसाररूपी रोगको हरण करनेवाले हैं
और मिथ्यात्वके प्रतापको शान्त करनेमें समर्थ हैं इसलिये वास्तवमें यथार्थ चन्द्रमा आप ही हैं। सूर्यस्य चन्द्रस्य वभूव कान्तिः
सदैव मन्दा समये विलीना। प्रभानिधेस्ते प्रविलोक्य कान्ति
शरीरजन्यां रविकोटितुल्याम् ॥३॥