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श्रीशान्तिनाथस्तुति । श्रीशान्तिनाथस्तुति ।
ऐराया विश्ववंद्यायाः विश्वसेनस्य भूभृतः । शान्तिदःशान्तिनाथश्च जातः स्वमोक्षदायकः।१ _अर्थ- स्वर्गमोक्षके देनेवाले और सबको शान्ति देनेवाले भगवान् शान्तिनाथ परमदेव जगत्के द्वारा वंदनीय महारानी ऐरादेवी और महाराज विश्वसेनके पुत्र हुए थे। सम्पूर्णजीवान् वरराजनीत्या
निजात्मतुल्यं प्रतिपाल्य धर्मः। अत्यन्तमान्यश्च विभुः प्रियश्च । ___ शान्तिप्रदोऽभूदिह शान्तिनाथः ॥२॥
अर्थ- हे भगवन् शान्तिनाथ परमदेव ! आपने श्रेष्ठ राजनीतिसे और धर्मपूर्वक अपने आत्माके समान समस्त प्रजाका पालन किया था और फिर सबके द्वारा अत्यंत मान्य, सबके विभु, सबके प्रिय और इस संसारमें सबको शान्ति देनेवाले होगये थे। पुण्यप्रसादाद्भुवि कामदेव
स्तीर्थकरोऽभूदिह चक्रवर्ती । तस्मिन्भवे त्रीणि पदानि लब्ध्वा
जातोसि वंद्यो वरपुण्यमूर्तिः ॥३॥