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श्रीअरनाथस्तुति । श्रीअरनाथस्तुति ।
पुण्यवत्याश्च मित्रायाः सुदर्शनधराभृतः । अरनाथश्चिदानन्दो जातो लोके प्रजापतिः॥१॥ ___ अर्थ- इस संसारमें समस्त प्रजाके स्वामी तथा शुद्ध चैतन्यस्वरूप और नित्य आनंदरूप भगवान अरनाथ अत्यंत पुण्यवती महारानी मित्रा और महाराज सुदर्शनके पुत्र हुए थे।
इच्छानिरोधतपसा स्वगुणैः प्रबोधैः ध्यानामिना प्रवलकर्मरिपून विजित्य । देवैनरैररजिनश्च वभूव वंद्यो मोक्षप्रदः स्वनिधिदःसुखशान्तिदश्च॥२॥
अर्थ- हे भगवन् अरनाथ जिनेन्द्रदेव ! आप इच्छाका निरोध करनेरूप तपसे, सम्पग्दर्शनादिक आत्मगुणोंसे सम्यग्ज्ञा__नसे और ध्यानरूपी अग्निसे कर्मरूपी प्रबलशत्रुओंको जीतकर
देव और मनुप्योंके द्वारा बंदनीय होगये हैं, मोक्षके देनेवाले __ होगये हैं, अपनी आत्मनिधिको देनेवाले होगये हैं और सुखशान्तिको देनेवाले होगये हैं।
कृत्स्ना गुणा अरजिनस्य हि सन्त्यनन्ताः शान्तिप्रदा अनुपमा अचला अमूल्याः।