________________
9
श्रीनमिनाथस्तुति। त्वत्पादपद्मपतितं जिनभक्ति नम्र मां देहि नाथ ! कृपया खलु तद्रतानि ॥११॥
अर्थ- हे भगवन् ! इन्द्रोंके द्वारा पूज्य मुनिसुव्रतनाथ ! आप जिन व्रतोंको धारण कर तीनों लोकोंके द्वारा पूज्य होगये हैं, हे नाथ उन्हीं व्रतोंको आपके चरणकमलोंमें यडे हुए और भगवान् जिनेन्द्र देवकी भक्तिसे नम्र हुए मुझे भी कृपाकर अवश्य देदीजिये।
श्रीनमिनाथस्तुति।
विप्राया विश्वज्याया विजयस्य महीपतेः । नमिनाथो दयामूर्तिः प्राणिनां हितचिन्तकः॥१॥ ___ अर्थ- समस्त प्राणियोंके हितका चिंतन करनेवाले ___ और दयाकी मूर्ति भगवान् नमिनाथ समस्त संसारके द्वारा पूज्य ऐमी महारानी विप्रा और महाराज विजयके पुत्र हुए थे। शान्तिप्रदां शाश्वतमोक्षलक्ष्मी
मोक्तुं विशुद्धां नमिना विमुक्ता ।