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श्री नेमिनाथस्तुति |
श्री नेमिनाथस्तुति ।
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शिवदेव्याः सुपुत्रोस्ति समुद्रविजयप्रभोः । पुण्यमूर्तिर्दयासिंधुनेमिनाथः सुखप्रदः ॥ १ ॥
अर्थ -- अत्यंत सुख देनेवाले, दयाके समुद्र और पुण्यकी मूर्ति भगवान नेमिनाथस्वामी महारानी शिवदेवी और महाराज समुद्रविजय के सुपुत्र हुए थे । श्री नेमिनाथस्य बलं विलोक्य श्रीकृष्ण चित्तेपि बभूव चित्रम् | त्रैलोक्यवीरो वरनेमिनाथ
स्तस्मै स्वराज्यं प्रददौ मुदा सः ॥२॥
अर्थ - हे भगवन् नेमिनाथ प्रभो ! आपके वलको देखकर श्रीकृष्णके चित्तमें भी आश्चर्य उत्पन्न हुआ था और फिर भी तीनों लोकों में एक अद्वितीय शूरवीर भगवन् नेमिनाथ ! आपने बडो प्रसन्नता के साथ अपना राज्य उन्हीं कृष्णको देदिया था ।
मार्गे पशूनां सुविलोक्य वाधां भिल्लादिजातां च विवाहकाले । संसारभोगादभवद्विरक्तः
श्री नेमिनाथ हरिवंशसूर्यः ॥३॥