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श्री चतुर्विशति जिनस्तुति |
अष्टांगनुत्या निखिलं च गात्रं जातं पवित्रं सफलं च जन्म ॥८॥
अर्थ - हे भगवन् ! कल्याण और शान्तिको देनेवाली आपकी दिव्य ध्वनिको सुनकर मेरे ये दोनों कान सफल और पवित्र हो गये हैं तथा आपको अष्टांग नमस्कार करनेसे मेरा यह समस्त शरीर पवित्र होगया है और मेरा यह जन्म भी सफल होगया है ।
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