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अनुक्रमणिका।
बिषय
पृष्टांक
५३४
५३५ ३३६
५३७
पृष्टांक विषय मद्यज तृषा
५२७ सन्निपातजमदात्यय में चिकित्सा तीक्षणाग्नि में शीतल जल
सब मदात्ययों में रुच्यपानक अजीर्ण की तृषा में गरम जल
मदात्यय में हर्षणी किया स्निग्धतृपा में कर्तव्य
मदात्यय मे दूध गुरु अन्न की तृषा में कर्तव्य
मद्यक्षीण में दूधका कारण क्षयज तृषा में कर्तव्य
अल्प मद्य विधि कृशादि को तृषा में चिकित्सा
विद्रक्षयादि में कर्तव्य ऊर्धवात में चिकित्सा
मद्य संयोग में कारण उपर्सगजरोग में चिकित्सा
सुरा के गुण तृषा की चिकित्सा में प्रधानता विधियुक्तमय के गुण सप्तमोऽध्यायः ।
निगदमद्यपान की विधि मदात्यय में चिकित्सा विधि ५२८
भुक्तमाल में मद्यपान उक्त विधि में हेतु
पुनःमद्य की विशेषता मद्यज व्याधि में मद्य से शांति
मद्यके गुण मद्य से मद्य की शांति में शंका
मद्यको उत्कृष्टता विधि पूर्वक मद्यपान की उत्कर्पता ५२९ | मद्यको पेयत्व उक्त कार्य में हेतु
मद्यपान की विधि मद्य को धातु सामान्य करत्य
मद्यपान के पीछेका कर्म पानात्यय औषध का काल
मद्यकी प्रशंसा रोगानुसार औषध
मद्यपान के पीछे शयन बातज मदात्यय का चिकित्सा
मद्यपान की देवस्पृहणीयता पित्तज मदात्यय
व्यवस्था पूर्वकर्मद्यपान पित्तज मशत्यय में भोजन
धनीलोगों की विधि पित्तज मदात्यय में बमनादि
मद्यपान से विरति कासावित उक्त रोग में चिकित्सा ,
बाताधिक्य में मद्यविधि यातपित्त की अधिकता में कर्तव्य ,
पित्ताधिक्य में मद्यपान
कफाधिक्य में मद्यपान तृषामें अल्प मद्यपान जलीयधातु की क्षीणता में कर्तव्य
बातादि में मद्यपान मदात्यय में मुखाले
५३२
मद्यपान का काल
मदमें बातपित्तनाशनी क्रिया अन्य उपाय कफाधिक्य मदात्यय में कर्तव्य उक्तरोगों में उपचार अन्य उपाय
प्रसक्तरोग में कर्तव्य उक्तरोग में भोजनादि
दोषवलानुसार क्रिया यथाग्नि पथ्यादि
मदादि में नस्यादि कफप्रायमदात्यय में अष्टांगलवण ५३३ सन्यासोक्त क्रिया कफज मदात्यय में जागरणादि , सन्यस चिकित्सा
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