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अनेकान्त-56/1-2
पाण्डव पुराण में उनकी उत्पत्ति इस प्रकार बतलाई गई है- शान्तनु के सवकी नामक पत्नी से पराशर राजा उत्पन्न हुआ। उसका विवाह जन्हु विद्याधर की पुत्री जान्हवी के साथ हुआ। इन दोनों के गांगेय पुत्र उत्पन्न हुआ। गांगेय के अपूर्व त्याग व विशेष प्रयत्न से पराशर को नाविक परिपालित रत्नाङ्गद की पुत्री गुणवती (योजनगन्धिका) का लाभ हुआ था। पराशर और गुणवती ने व्यास को जन्म दिया। व्यास के सुमद्रा पत्नी से धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए। इनमें पाण्डु ने कुन्ती से कर्ण, युधिष्ठिर, भीम
और अर्जुन तथा भाद्री से नकुल और सहदेव को उत्पन्न किया। ___ इस परम्परा में हरिवंशपुराण के कर्ता ने केवल शान्तनु आदि के नामों का ही उल्लेख किया है, किन्तु पाण्डवपुराण के कर्ता ने उन नामों के आश्रित कुछ विशेष, घटनाओं को भी जोड़ा है। जैसे-पराशर और गुणवती आदि। गुणवती यह नाम सम्भवतः शुभचन्द्र के द्वारा ही कल्पित किया गया प्रतीत होता है, अन्यथा महाभारत, देवप्रभसूरि के पाण्डवचरित ओर उत्तरपुराण में इसके स्थान पर सत्यवती नाम पाया जाता है। हरिवंशपुराण में शान्तनु की पत्नी का जो योजनगन्धा नाम निर्दिष्ट किया गया है, पाण्डवपुराण के कर्ता ने भी उसका सम्बन्ध गुणवती (सत्यवती) के साथ जोड़ा है। (पर्व श्लो. 115) विशेषता यह है कि उन्होंने महाभारत अथवा देवप्रभसूरि के पाण्डवचरित्र के अनुसार इस घटना का सीधा सम्बन्ध शान्तनु से न जोड़कर उत्तरपुराण के निर्देशानुसार उनके पुत्र व्यास के साथ जोड़ा है।
हरिवंशपुरण में सुकुमारिका (द्रोपदी की पूर्व पर्याय) के साथ जिनदेव का वानिश्चय और जिनदत्त के साथ विवाह का उल्लेख पाया जाता है। यथाकन्यां तामाप दुर्गन्धा वृतां बन्धुभिरग्रजः।
परित्यज्य प्रवव्राज सुव्रतः सुव्रतान्तिके। कनीयान् जिनदत्तस्तां बन्धुवाक्योपरोघतः। परिणीयापि तत्याज दुर्गन्धामतिदूरतः।
-हरिवंशपुराण 64/120-121 . उत्तर पुराण पर्व 72 श्लोक 245 से 248 पर्यन्त के श्लोकों का भी यही