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अनेकान्त-56/1-2
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डॉक्टर ग्राइमर ने हँसते हुए कहा-"मैं इसे खरीद लेना चाहूँगा"। नही डॉक्टर! आप ईश्वर के प्रति आस्था पैदा कर सकते है, परन्तु इसे करोड़ो डॉलर में भी नहीं खरीद सकते। वस्तुतः यह वस्तु नहीं है, जो खरीदी जा सकती है।
ब्रिटेन के डॉक्टरो का ध्यान इस दूसरी शक्ति की ओर जाने लगा जिसे ध्यान (अध्यात्म की शक्ति) या प्रार्थना की अमोध शक्ति कह सकते है और चिकित्सा विज्ञान, इस अध्यात्म विज्ञान से परस्पर जुड़ा हुआ देखा जाने लगा
एडिनवरा यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल के डॉक्टर मरे अपने साथ मरीज की एक्स-रे-रिपोर्ट और पेनिसिलन के साथ यह भी जानकारी रखते हैं कि क्या मरीज कभी प्रार्थना भी करता है?
प्रायः मरीज के मन में जो, परेशनियां उसकी बीमारी पर हावी है, उन्हे बाहर निकालने के लिए डॉक्टर प्रयोग करे, तो इलाज का प्रभाव जादू की भांति होता है।
वह जादू है-आध्यात्मिक इलाज।
प्रो. स्टीव राइट के अनुसार पहले डॉक्टर को अध्यात्म की जरूरत है, जिससे वह मरीज को प्रभावित कर सकता है। वह केवल आध्यात्मिक शक्ति है। एडिनवरा यूनिवर्सिटी के चिकित्सा-छात्रों ने पाठयक्रम निर्धारकों से मांग की कि वे चिकित्सा-पाठयक्रम के साथ अध्यात्म की कक्षाएँ लगायें।
चिकित्सा पाठयक्रम के साथ-ध्यान और योग का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ध्यान एवं योग में शारीरिक स्थिरता के साथ मन के एकाग्र होने की एक वैज्ञानिक प्रविधि है। ध्यान में किसी मन्त्र या मन्त्र के बीजाक्षर का विशुद्ध चिन्तन है, जिससे आत्मिक शक्ति और दृढ़ संकल्प-शक्ति बढ़ती है, जो क्रोध/ईर्ष्या/अहंकार/आवेशात्मक उद्वेगो आदि विकारों पर नियन्त्रण प्राप्त कर व्यक्ति को सहिष्णु और मानसिक तनाव रहित कर शान्त और स्वाभाविक रूप से जीने में सहायता करता है।