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अनेकान्त-56/3-4
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तार्किक पद्धति का लोहा, सभी ने माना। अकलंक देव और प्रायः अन्य सभी द्वारा मान्य प्रमाण स्वरूप का वर्गीकरण निम्न रूप में स्पष्ट कर सकते हैं।
प्रमाण
प्रत्यक्ष
परोक्ष
माव्यवहारिक (लौकिक)
मुख्य (पारमार्थिक)
अवग्रह
ईहा
अवाय
धारणा
अवधि
मन.पर्यय
कवल (सकलप्रत्यक्ष)
स्मृति प्रत्यमिज्ञान तर्क अनुमान आगम न्यायविनिश्चय टीका मे प्रत्यक्ष के तीन भेद किये गये हैं।- 1. देवों द्वारा प्राप्त दिव्यज्ञान, द्रव्य व पर्याय अथवा सामान्य व विशेष को जानने वाला ज्ञान तथा आत्मा को प्रत्यक्ष देखने वाला स्वसंवेदन ज्ञान। सर्वार्थसिद्धि के अनुसार प्रत्यक्ष (पारमार्थिक) देशप्रत्यक्ष और सर्वप्रत्यक्ष के भेद से दो प्रकार का है। धवला में इन्हें सकल प्रत्यक्ष व विकल प्रत्यक्ष कहा गया है। अवधि और मनःपर्यय देश या विकल प्रत्यक्ष हैं तथा केवलज्ञान सर्व या सकल प्रत्यक्ष हैं।24
प्रमाण
प्रत्यक्ष
परोक्ष
साव्यवहारिक
पारमर्धिक
सर्व
(विकल)
(सकल)
अवधि
मन-पर्यय