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* अनेकान्त - 56/1-2
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डा. जगदीशचन्द्र जैन का नाम पहला था । ये अवार्ड विद्वानों को 'प्रथम राष्ट्रीय प्राकृत सम्मेलन में दिसम्बर 8-9, सन् 1990 को प्रदान किये गये। उसी समय उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने राष्ट्रीय प्राकृत सम्मेलन तथा प्राकृत ज्ञान भारती अवार्ड को ट्रस्ट के प्रमुख वार्षिक कार्यो में एक महत्वपूर्ण कार्य होने का संकल्प व्यक्त किया। डॉ. जैन ने अपनी और से उक्त पुरस्कार योजना मे सहयोग हेतु पाँच हजार रुपये देने की घोषणा की।
डॉ. जैन के सम्मान में भारत सरकार के संचार विभाग ने डाक टिकिट
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जारी किया था। 'प्रथम प्राकृत ज्ञानभारती अवार्डस्' के प्रकाशित विवरण के अनुसार डा. जैन 1990 तक लगभग 70 ग्रन्थ लिख चुके थे। वहाँ केवल ग्रन्थो की संख्या का उल्लेख है। मैं सीमित साधनों में उनकी जिनकृतियो के सन्दर्भ खोज सका हूँ, उनकी सूची इस प्रकार है-
1. स्याद्वाद - मंजरी सम्पादन एव अनुवाद, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, 1935, 1970
2. जैन आगमो में प्राचीन भारत का चित्रण, लेखन, 1945
3. दो हजार बरस पुरानी कहानियाँ, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, 1946
4. प्राचीन भारत की कहानियाँ, हिन्द किताब्स लिमिटेड, बम्बई, 1946
5. सोशियल लाइफ इन ऐंशिएशट इण्डिया एज डिपिक्टेड इन जैन केनन्स, न्यू बुक कम्पनी, बम्बई, 1947
6. भारत के प्राचीन जैन तीर्थ, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 1952
7. प्राकृत साहित्य का इतिहास, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, 1961 8. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, 1965 9. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - 2, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 1966, 1989
10. प्राकृत जैन कथा साहित्य, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद, 1971
11. द जैन वे आफ लाइफ द एकेडेमिक प्रेस, गुड़गांव, 1991
12. भारतीय तत्वचिन्तन, राजकमल प्रकाशन ।