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किरण ३-४]
भ० महावीरके विवाह सम्बन्धमें श्वे० की दो मान्यताए'
चार तीर्थकरोंको अविवाहित माना जाता है। इनमें मल्लि, विवाहकी मान्यताको कोई पुष्टि नहीं मिलती, अतः यह तीर्थकर भी हैं जिन्हें श्वेताम्बर सम्प्रदाय स्त्रीतीर्थकर मानता मानना ठीक होगा कि महावीर अविवाहित एवं बालब्रह्महै और नेमिनाथ बिना विवाह किये ही दीक्षित होगये थे। चारी ही थे। यह दोनों सम्प्रदाय मानते हैं। वासुपूज्य और पार्श्वनाथने इस प्रकार श्वेताम्बर सम्प्रदायमें महावीरके विवाहको विवाह नहीं कराया था। ऐसी स्थितिमें कुमार शब्दका लेकर दो मान्यताएँ स्पष्ट दृष्टिगोचर होती हैं। इस बातको विवाहित अर्थ मानने पर इन सबको भी विवाहित मानना में ही नहीं कहता, किन्तु श्वेताम्बरीय विद्वान पं दलसुम्बजी पड़ेगा। जो आगम मान्यताके विरुद्ध है, ऐसा नहीं हो मालवणिया भी स्पष्ट रूपसे स्वीकार करते हैं जैसा कि सकता कि महावीरके साथ कुमार शब्दका विवाहित और उनकी स्थानांग-समवायांग सूत्रकी गुजराती टीकके निम्नशेष तीथंकरोंके साथ उसी कुमार शब्दका अर्थ अविवाहित वाक्योंसे स्पष्ट हैकिया जाय । कुमार शब्दके अर्थक सम्बन्धमें श्वेताम्बरीय 'भगवान महावीरे विवाह कयों न हतो, एम पासूत्रों विद्वान् पं० दलसुखजी मालवणिया स्थानांग-समवायांग मां स्पष्ट पणे परंपरा सुचवाई रही छे । भगवान महावीर(पृ. ३८) पर विचार करते हुए कुमार शब्दका अर्थ बाल- ना विवाह नी बात सर्वप्रथम कल्पसूत्र मांज जेवामणि छ; ब्रह्मचारी लेनेकी प्रेरणा की है और दिगम्बरोंकी अविवाहित अने अथीते मनी विवाह-विषयक बीजी परंपरानी सूचना मान्यताको साधार बतलाते हैं 'समवायांगमां श्रोगणीसनो श्राप छ, प्रेम मानवु जाईये, अटले भगवतीनु' जमालिश्रागारबास ( नहि के नृपतित्व) कहे नारसूत्र मूकीओ, अध्ययन, स्थानांग-समवायांगने बधु तेमना विवाहना तो प्रेम ज कहेवु पडे छे के त्यां कुमारनो अर्थ बालब्रह्मचा- निषेधनी परंपरामा मुकबु जोईये, अने कल्पसूत्र, श्रावश्यक रीज लेवो जोईये, अने वाकीनानो विवाहित, आ प्रमाणे नियुकि तथा मूल्य भाष्य थी मांडी ने चूर्णी सुधीना तेमदिगम्बरोनी मान्यताने पण श्रागमिक आधार के जो एम- ना विवाहना उल्लेखो स्पष्ट पणे बीजी परंपरा मां मूकवा मानवु पड़े थे.' अतः पूर्वापर वस्तुस्थिति और श्रागम- जोईए, भगवान महावीरनो विवाह थयो हतो तेम उत्यारे संगतिको देखते हुए पाचों तीर्थंकरोंको अविवाहित ही मानना श्वेताम्बर-परंपरामां मान्यता रूढ थई गई छे , त्यारे दिगंचाहिये।
बरोंने त्यांतो ते अविवाहित होवानी बात रूढ छे' भगवती सूत्रमें जमालिका जो चरित्र दिया गया है
- स्थानांग-समवायांग पृ. ३३० उससे भगवान महाबीरके विवाहकी पुष्टि नहीं होती। साथ उपरके इस समस्त विवेचन परसं स्पष्ट है कि श्वेताम्बर ही उसमें जमालिकी अाठ स्त्रियां बतलाई गई हैं परन्तु सम्प्रदायमें भगवान महावीरके विवाह के सम्बन्धमें दो मान्यउनमें प्रियदर्शनाका जिसे कल्पसूत्र में महावीरकी पुत्री ताएँ प्रचलित हैं। उनमें अविवाहित मान्यता ही प्राचीन और बतलाया है कोई उल्लेख नहीं है । ऐसी स्थितिमें महावीरके निर्दोष है और विवाहित मान्यता अर्वाचीन और सदोष है।
विश्वशांति विधायक-जैन आयोजन यूनेस्को-सम्मेलनके अवसर पर जैन समाज दिल्ली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि विभिन्न देशोंक जो ओर से एक सेमिनार (गोप्ठी) का आयोजन किया गया ४००के लगभग प्रतिनिति पधारे हैं उनका ३० नवम्बरको है । इस अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकान्त और स्याद्वाद तथा जैन समाज की ओरसे सम्मान किया जायगा और उन्हें विश्वशान्तिके सम्बद्ध विषयों पर बाहरसे अनेका-अनेक मान्य अंग्रेजी आदिका जनसाहित्य भेंट किया जायगा। श्रतः इस विद्वानोंके सुन्दर भाषण हिन्दी अंग्रेजीमें होंघे। इसी सुअयसर पर अपने इष्ट मित्रों सहित पधारकर लाभ सुअवसर पर प्राचीन जैन हस्त लिखित पुरातन जैन सचित्र उठाइए। तथा सुवर्णाकित ग्रन्थों, और जैन कलाके पुरातन नमूनों,
थापका, जैन शिक्षा लेखोंमी प्रतिलिपियों श्रादिका सम्र हाउस नई
डॉ. एम. सी किशोर दिल्ली में एक प्रदर्शनीका प्रायोजन किया गया है। इसकी • मंत्री-विश्वशान्ति विधायक आयोजन दिल्ली