________________
किरण ५] श्रमणगिरि चलें
[१३१ शिलालेखोंका विवरण नीचे दिया जाता है
बाहर जो जिनप्रतिबिंब है उसके नीचे के आसनमें इस प्रकार नं.१ और २ ब्राह्मी लिपि में
का लेख हैश्रमणगिरिके पश्चिम कोणमें (मुत्तु पट्टी)(क) (पालम- ....."नाटुकुरण्डितिरक्काहामपल्लि कनकनंदि पट्टीके पास) पांडवोंका बिस्तर जिस चहानमें है उसका
२. [ पठार ] र अभिनन्दनबटारर प्रवर माणावर विवरण इस प्रकार है
अरिमण्डलपठारर - Label-(अ) वि न दै ऊ र
३. अभिनन्दनपठारर शेयवित्त तिरुमेणि १२ ., -(आ) शै य र ल न
अर्थ-....."वेनबुनादु जिलान्तर्गत कुरण्डिके तिरुका, -(इ) का वि य
हाम पल्ली मठके कनकनंदि भट्टारक अभिनंदन भहारकके उमी चहानमें जिन प्रतिबिंबके नीचे:
शिष्य परिमंडल भट्टारक थे | यह पुज्य प्रतिमा अभिनंदन ३ तमिल १. स्वस्ति श्री [1] वेनबुनाटुक्कु रण्डि श्रष्ट उप
भट्टारकने बनवाई है।
६ तमिल २. वायी वटारर माणाकर गुणसेनदेवर गुण
उपयुक्र चट्टानमें जनशिलाके नीचे सेट्टिप्पोडऊ गुफाके ३. सेनवर माए कर कनकवीरप्पेरियडि क४. ल नाहार प्पुरत्तु अमृतपराक्किर
ऊपरी भागमें इस प्रकार का लेख है५. म न [1] लूरान कुयिरकुडी ऊगर पेरा
१. स्वस्ति श्री [ux ] नबुनाह करगिड ६. ल शेयविन गिरुमेणि [10] पल्ली
२. तिरुक्काहाम पल्लिक ७. चिविगैयार रक्ष ॥
३. गुणसेनदेवर माणावर व अर्थः-स्वस्ति श्री बेणबुनाडु जिलान्तर्गत कुरण्डिके
१.माणप्पंडितर माणाक् अष्टोपवासी भट्टारका शिष्य गुणसेनदेवर थे। कनकवीरपे
५. कर गुणसेनप्पेरियरियडिगल जो गुणसनदेवके शिष्य थे उन्होंने यह पूज्य
६. डिकल शेयवित्त तिप्रतिमा निर्माण कराई। कुयिरकुडी ग्रामके (अपरनाम ७. रमेणि ।अमृतपराक्रम नपुरममें) निवामियंक लिये। पल्ली अर्थ-स्वस्ति श्री बेनबुनाडु जिलान्तर्गत कुरण्डिके शिविगयारके ग्नामें यह रहे।
तिरुकाढामपल्ली मठके गुणसेनदेवके शिष्य बर्द्धमान पंडितके ४ तमिल
शिष्य गुणसेनपेरियडिगताने यह पूज्य प्रतिमा बनवाई। उमी चट्टानों और एक प्रतिमाके नीचे
७ तमिल १. स्वस्ति श्री [॥x ] परान्तकपर्वतमायिन ते
उसी स्थानमें एक और जिनमूर्तिके नीचे एक लेख है२. [न व] हैप्पेल्मपल्लि
१. स्वस्ति श्री [+] इप्पल्लि उडेय गु३. कुराण्ड अष्ट उपवासी वटार४. र माणकर माघनन्दिप्पे
२. णसेनदेवर सहन देव ५. रियार नाट्ट पुरत.
३. बलदेवन शेयवित्त तिरुमेणि। [1] ६. तु नाहार पेराल शेयविच
अर्थ-स्वस्ति श्रोइप्पल्लीके गुणसेनदेयके प्रधान शिष्य ७. च निरुमेणि ॥ श्री पल्लिच
देवबलदेवने यह पूज्य प्रतिमा बनवायी। ८. चिक्कियार रक्ष।
तमिल अर्थ -स्वस्ति श्री तेनवटै के पेरुमपल्ली अपर नाम
उसी स्थानमें तीसरी जिनप्रतिबिंबके नीचे इस प्रकारका परान्तक पर्वतके मठ व मंदिरके माघनन्दिपेरियार जो अष्टो. हिमा
लेख है
लेख हैपापी भट्टारकक शिष्य थे उन्होंने इस पूज्य प्रतिमाको
१. स्वस्ति श्री [॥x ] इप्पल्लि भालबनवाया नाहामपुरम के निवामियोंके लिये । श्रीपल्ली चिवि
२. किन गुणसेनदेवर सह [न] कैयारकी सुरक्षामें यह रहे।
३. अन्दलयान कलकडि [-] न-वै ५ तमिल
४. गैअन्यलयान.....(कै) यानि [ये] श्रमणपर्वतमें कीलकुयिलकुडीके पास सहिप्पोडऊ ग्रफाके ५. साति शेयवित्त तिरु