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(3) Truth means resolution. To faultlessly follow the vows one has accepted is truth.
It is advised here to be firm on truth.
असंयत की व्याकुल चित्तवृत्ति
११९. अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे, से केयणं अरिहए पूरइत्तए ।
से अण्णवहाए अण्णपरियावाए अण्णपरिग्गहाए।
जणवयवहाए जणवयपरियावायाए जणवयपरिग्गहाए ।
११९: वह असंयमी पुरुष अनेक चित्त ( चंचल मन ) वाला है। वह चलनी को जल से भरना चाहता है।
( तृष्णा की पूर्ति के लिए) व्याकुल चित्त मनुष्य दूसरों का वध करने के लिए, दूसरों के परिताप के लिए, दूसरों के परिग्रह के लिए तथा जनपद के वध के लिए, जनपद के परिताप के लिए और जनपद के परिग्रह के लिए प्रवृत्ति करता है ।
THE DISTURBED STATE OF INDISCIPLINED MIND
119. The indisciplined person is of many minds (having a flickering mind). He wants to fill water in a sieve.
A man with disturbed mind (to fulfill his desires) indulges in killing others, inflicting pain on others, and enslaving others. He also indulges in destroying, inflicting pain on and enslaving (conquering) inhabited areas (village, city or state).
विवेचन-संसार-सुखाभिलाषी पुरुष को अनेकचित्त वाला बताया गया है, क्योंकि वह लोभ से प्रेरित होकर कृषि, व्यापार, कारखाने आदि अनेक प्रकार के धंधे करता है, उसका चित्त रात-दिन उन्हीं अनेक धंधों की उधेड़-बुन में लगा रहता है।
अनेकचित्त पुरुष अतिलोभी बनकर ऐसी असम्भव इच्छा करता है, जैसे कोई चलनी को जल से भरना चाहता है, अर्थात् चलनी रूप तृष्णा को धनरूपी जल से भरना असंभव है। अपनी तृष्णा के खप्पर को भरने हेतु वह दूसरे प्राणियों का वध करता है, दूसरों को शारीरिक, मानसिक संताप देता है, द्विपद- दास-दासी, नौकर-चाकर आदि चतुष्पद - चौपाये जानवरों का संग्रह करता है। इतना ही नहीं, वह असीम लोभ में पागल होकर सारे जनपद या नागरिकों का संहार करने पर उतारू हो जाता है, उन्हें नाना प्रकार से यातनाएँ देने को उद्यत हो जाता हैं,. अनेक जनपदों को जीतकर अपने अधिकार में कर लेता है।
आचारांग सूत्र
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Illustrated Acharanga Sutra
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