________________
SEA
9999999999999. PARPAR... 99. PARDA.C.C.99
torments. Therefore he was not moved by these afflictions and torments.
३०६. सूरो संगामसीसे वा संवुडे तत्थ से महावीरे । पडिसेवमाणो फरूसाई अचले भगवं रीइत्था ॥ ५२ ॥
३०६. युद्ध के मोर्चे पर जैसे कवच पहना हुआ योद्धा शस्त्रों से विद्ध होने पर भी विचलित नहीं होता, वैसे ही भगवान महावीर संवर का कवच पहने हुए कठोरतम कष्टों को जीतकर ध्यान में निश्चल रहकर मोक्षपथ में पराक्रम करते थे ।
306. On a battle front an armoured warrior remains undisturbed even when hit by weapons. In the same way Bhagavan Mahavir, wearing the armour of samvar (blocking of inflow of karmas), conquered extreme torments, remained firm in his meditation and pursued the path of liberation.
३०७. एस विही अणुक्तो माहणेण मईमया । बहुसो अपडिण्णं भगवया एवं रीयंति ॥ ५३ ॥
त्ति बेमि ।
॥ तइओ उद्देसओ सम्मत्तो ॥
३०७. मतिमान महर्षि भगवान महावीर ने सब प्रकार की प्रतिज्ञा से मुक्त रहकर इस (पूर्वोक्त) विधि का बार - बार आचरण किया ( उनके द्वारा आचरित एवं उपदिष्ट विधि का अन्य साधक भी इसी प्रकार आचरण करते हैं)।
- ऐसा मैं कहता हूँ ।
307. More often than not, the great and wise sage, Mahavir of the Kashyap clan, followed this code of conduct without any reservations (Other aspirants also follow this code followed and preached by him).
-So I say.
विवेचन - लाढ़ देश में विहार का उद्देश्य - भगवान ने मृगसर वदि १0 के दिन दीक्षा ग्रहण की उसी दिन उन्होंने यह प्रतिज्ञा ग्रहण की। "तओ णं समणे भगवं महावीरे एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हति बारसवासाइ वोसट्टकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा समुप्पज्जंति, तं जहा अहियासइस्सामि । " मुझे जो साधनाकाल में जो कोई देव - मनुष्य - तिर्यंच सम्बन्धी उपसर्ग उत्पन्न
आचारांग सूत्र
( ४९२ )
Illustrated Acharanga Sutra
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org