Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 1
Author(s): Rajendrasuri
Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha
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अभग्गण अभिधानराजेन्द्रः।
अभग्गसेण याएहि य गोग्गहणेहि य वंदिग्गहणेहि य पंथकोहेहि य इ, गेएहत्ता पत्थियपमिगाई मरेड, जरेइत्ता जेणेव खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे उबीलेमाणे विद्धंसेमाणे | निएणए अंमवाणियए तेणेव नवागच्छइ, नवागच्चडत्ता विकंसेमाणे तज्जेमाणे तजेमाणे तामेमाणे तालेमाणे णिएणयस्स अंमवाणियस्स नवणे, तए णं तस्म णित्थाणे णिचणे णिकणे करमाणे विहरइ , मह- णिएणयस्स अंमवाणियस्स बहवे पुरिसा दिएणभए बलस्म रएणो अनिक्खणं २ कप्पाई गिएहप, तत्थ एणं
बहवे कायमए यन्जाव कुकुमअंमए य एणसिं च बहणं विजयस्स चोरसेगावपस्स खंधसिरीणामं नारिया होत्या।। जमथलखेचरमाईणं अंडए तवएस य कंमएमु य जज्जअहीण तत्थ णं विजयचोरसेणावइस्स पुत्ते खंधसिरीए णएमु य इंगालेसु य तलिंति जति सोविंति, तविंता भारियाए अत्तए अजग्गसणं णामं दारए होत्या अही- जजंता सोविंता य रायमग्गं अंतरावणंसि अंडयपणियणं एणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीर
वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ, अप्पणो वियणं से णिएणए पुरिमतालणाम एयरे जेणेव अमोहदंमी उज्जाणे तेणेव
अंमवाणियए तेसिं बहुहिं कायअंगरहि य० जाव कुकुडिसमोसढे परिसा राया निग्गो,धम्मो कहिओ, परिसा राया
अंमएहि य सोल्लेहिं तट्विं भजे सुरं च ४ आसाए । विगओ, तेणं कामेणं तेणं समएणं समणस्स नगवो
विहरइ, तएणं से णिएणए अंडए एयकम्मे ४ सुबहुपावं महावीरस्स जेटे अन्तेवासी गोयमे० जाव रायमग्गं समो
समाज्जित्ता एगंवाससहस्मं परमाउं पाल,पालइत्ता कालमासे वगाढे तत्थ णं बहवे इत्थी पासइ, तर एणं तं पुरिसं राया कालगतच्चाए पुढवीए नकोससत्तसागरोवमहितीएस णेरइपुरिसा पढमंसि चच्चरंमि णिसियाविति , हिसियावितित्ता| एसु णेरइयत्ताए नववले, से णं ताओ अणंतरं उन्नहिता अहचुवपिउए अग्गउघाएइ कसप्पहारेहिं तालेमाणे २ श्हेव सालामवीए चोरपबीए विजयस्स चोरसेणावश्स्स खंकखुणं काकणिमंसाई खावे,खावेइत्ता रुहिरपाणं च पाय
दसिरीए भारियाए कुच्चिसि पुत्तत्ताए उववो, तए गं से त्ति । तयाणंतरं च णं दोच्चं पिचचरंसि अहमहुमाउयाओ
खंदसिरीजारियाए अप्पया कयाई तिएहं मासाणं बहुपगिअग्गयो घाएयति, घाएयतित्ता एवं तच्चे० अट्ठमहापिउए,
पुलाणं श्मेयारूवे दोहल्ले पाउन्नूए-धमाओणं ताओ अम्भचउत्थे० अहमहामानए, पंचमे पुत्ता, छठे सुएहा, सत्तमे
याओ जाणं बहुहिं मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरियणजामाउया, अहमे धूयाओ, णवमे णतया,दसमे णत्तुयो,
महिलाएहिं अमेहि य चोरमहिनाहिं सकिं संपरितुमा एकारसे पत्तुयावइ, बारसमेणणीओ,तेयारसमे स्सिय
एहाया. जाव पायच्चित्ता सवालंकारचूसिया विउलं पतिया, चउद्दसमे पिनस्सियाओ, पारसमे मासियाओ पर
असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च एआसाएमाणे विहयाओ, सोमसमे मासियाओ०,सत्तरसमे मासियाओ,अट्ठा
रइ । जिमियतुत्तरागयाओ पुरिसणेवत्थिया साद० जाव रसमे अवसेसं मित्तणाशणयगसयणसंबंधिपरिजणं अग्ग
पहरणावरणाभरिएहि य फलरहिं णिकिट्ठाहिं असीहिं श्रो घायंति,घायंतित्ता कसप्पहारोहिं तालेमाणेश्कलुणं का.
अंसागरहिं तोणेहिं सजीवेहिंधणुहिं समुक्खिचेहिं सरेहिं कणिमसाई खावेइरुहिरपाणं च पाए । तए णं से भगवं गो
समुद्घावेलियाहि य दामाहिं लंबियाहिं उसारियाहिं यमे तं पुरिसं पास, पासपत्ता अयमेयारूवे अकवत्थिये ५
नरुघंटाहिं निप्पत्तरेणं विजमाणे विज्जमाणे महया २ समुप्पाले जाव तहेव णिग्गए एवं वयासी-एवं खलु अहं
उकिट० जाव समुद्दरवनूयं पिव करेमाणीमो सालाहभंते !-से णं नंते ! पुरिसे पुन्वभवे के आसी० जाव विहरइ ।
वीए चोरपद्वीए सव्वमो समंताओ लोएमाणीओ अएवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे
हिंममापीओ, दोहलं वि णिति-तं जइ अई अहं पि जारहेवासे पुरिमताले णामं णयरे होत्था,रिफि०३ तत्थ णं
बहुहिं पाणियगसयणसंबंधिपरियणमहिसाई अमोहिं सापुरिमताले उदये णामंराया होत्या,महया तत्थ णं पुरिमताले
लाडवीए चोरपदीए सव्वनो समंतानो लोएमाणीओ निन्नए णाम अंमयवाणियए होत्था,अ० जाव अपरिभए
आहिंम्माणीग्रो २ दोहलं विणिजामि त्ति कटु तंसि अहम्मिए जाव दुप्पमियाणंदे तस्स णं णिएिणयस्स अं-|
दोहसि अवणिज्जमाणंसिक जाव कियामि तए णं से
विजए चोरसेणावइ खंदसिरीजारियं ऊहय० जाव पास व्यवाणियस्स बहवे पुरिसा दिमजत्तिजत्तवेयणा कझाकविं
एवं वयासी-किएहं तुम्हं देवा उहय० जाव झियासि, कोहालियामो य पत्थियाए पमिए गएडइ, गेएहत्ता पुरि
सए एं सा खंदसिरी भारिया विजयं एवं वयासी-एवं मतानस्स एयरस्म परिपेरंते सुबहुकाकअंमए य घृतिअंम
खलु देवाणप्पिया! ममं तिएहं मासाएंजाब कियामि,तए ए य पारेवस्टेडिजिवगिमयूरिकुकुडिअंडए य एणोसं णं से विजये चोरसेणावइ खंदसिरीजारियाए अंतियं चेव बहणं जलयरथलयरखडयरमाईणं अंगाई गेएड- | एयमटुं सोचा णिसम्म खंदसिरीभारियं एवं वयासी
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