Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh Part 05
Author(s): Vijayrajendrasuri
Publisher: Rajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 1430
________________ भरह 1422 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 5 भरह अंतिए एयमढे सोचा णिसम्म हट्ठ०जाव सोमणस्सिए विअसिअवरकमलणयणवयणे पयलिअवरकडगतुडिअकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइअवच्छे पालंबसलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिअं चवलं णरिंदे सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टेइत्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहइत्ता पाउआओ ओमुअइ ओमुअइत्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ, करेइत्ता लिमउलिअग्गहत्थे चक्करयणाभिमुहे सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छइत्ता वामं जाणुं अंचेइ अचेइत्ता दाहिणं जाणुंधरणितलंसि णिहटु करयलजाव अंजलिं कटु चक्करयणस्स पणाम करेइ, करेइत्ता तस्स आउहधरिअस्स अहामालिअंमउडवज्जं ओमोअं दलइ, दलइत्ता विउलं जीविआरिहं पीइदाणं दलइ, दलइत्ता सक्कारेइ, सम्माणेइ, संमाणे इत्ता पडि विसज्जेइ, पडिविसज्जेइत्ता, सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे / तए णं से भरहे राया कोडं बिअपुरिसे सहावेइत्ता एवं बयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! विणीयं रायहाणिं सम्भितरबाहिरिअं आसिअ-संमज्जिअसित्तसुइगरत्थंतरवीहिअं मंचाइमंचकलिअंणाणाविहरागवसणऊसिअझयपडागाइपडागमंडिलाउल्लोइअमहिअंगोसीससर-सरत्तचंदणकलसं चंदणधडसुकय जावगंधुद्धआभिरामं सुगंधवरगंधिअंगंधवट्टिभूअं करेह, कारवेह, करेत्ता कारवेत्ता य एअमाणत्तिअं पचप्पिणह। तएणं ते कोडुबिअपुरिसा भरहेणं रण्णा एवं वुत्ता हट्ठ० करयल०जाव एवं सामि त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता भरहस्स अंतिआओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता विणीअं रायहाणिंजाव करेत्ता कारवेत्ता य तमाणत्तिअंपच्चप्पिणंति। तए णं से भरहे राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि णाणामणिरयणभत्तचित्तंसि पहाणपीढंसि सुहणिसण्णे सुहोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुद्धोदएहिं अपुन्ने कल्लाणगपवरमज्जणविहीए मज्जिए तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकु मालगंधकासाइअलूहि-अंगे सरससुरहिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवुडे सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पिअहारऽद्धहारतिसरिअपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविज्जगअंगुलिज्जगललिअगयललिअकयाभरणे णाणामणिक डगतुडिअथंभिअभूए अहिअसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे मउड दित्तसिरए हारोत्थयसुकयवच्छे पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दिआपिंगलंगुलीए णाणामणिकणगविमलमहरिहणिउणो अविअमिसिमिसिंतविरइअसु सिलिट्ठविसिठ्ठलट्ठसंठिअपसत्थआविद्धवीरबलए, किं बहुणा? कप्परुक्खए चेव अलंकि अविभूसिए णरिंदे सकोरंट०जाव चउचामरवालवीइअंगे मंगलजयजयसद्दकयालोए अणेगगणणायगदंडणायग०जाव दूअसंधिबालसद्धिं संपरिबुडे धवलमहामेहणिग्गए इव०जाव ससि व्व पियदंसणे णरवई धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव आउहघरसाला जेणेव चक्करयणे तेणामेव पहारेत्थ गमणाए / तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहवे ईसरपभिइओ अप्पेगइआ पउमहत्थगया अप्पेगइया उप्पलहत्थगया०जाव अप्पेगइआ सयसहस्सपत्तहत्थगया भरहं रायाणं पिट्टओ पिट्ठओ अणुगच्छंति / तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहूईओ"खुजा चिलाइवामणिवडभीओ बब्बरी बउसिआओ। जोणिअपल्हविआओ, ईसिणिअत्थारुकिणिआओ ||1|| लासिअलउसिअदमिलीसिंहलि तह आरबी पुलिंदी अ। पक्कणि बहलि मुरुंडी, सबरीओ पारसीओ अ॥२॥" अप्पे गइया बंदणकलसहत्थगयाओ चंगेरीपुप्फपडलहत्थगयाओ भिंगारआदंसथालपातिसुपइट्ठगवायकरगरयणकरंडपुप्फचंगेरीमल्लवण्णचुण्णगंधहत्थगयाओ वत्थआभरणलोमहत्थयचंगेरीपुप्फपडलहत्थगयाओ० जाव लोमहत्थगयाओ अप्पेगइआओ सीहासणहत्थगयाओ छत्तचामरहत्थगया ओतेल्लसमुग्णयहत्थगयाओ,"तेल्ले कोट्ठसमुग्गे, पत्ते चोए अ तगरमेला य / हरिआले हिंगुलए, मणोसिला सासवसमुग्गे ||1||" अप्पेगइआओ तालिअंटहत्थगयाओ अप्पेगइयाओ धूवकडुच्छु अहत्थगयाओ भरहं रायाणं पिट्ठओ पिट्ठओ अणुगच्छंति। तए णं से भरहे राया सव्विड्डीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्वसमुदयेणं सव्वायरेणं सव्वविभूसाए सव्वविभूईए सव्ववत्थपुप्फगंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वतुडिअसहसण्णिणाएणं महया इडीए०जाव महया वरतुडिअजमगसमगपवाइएणं संखपणवपङ हभेरिझल्लरिखरमुहिमुरजमुइंगदुंदुहिनिग्घोसणाइएणं जेणेव आउहघरसाला तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता आलोए चक्करयणस्स पणामं करेइ, करेत्ता जेणेव चक्करयणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता लोमहत्थयं परामुसइ, परामुसित्ता चक्करयणं पमज्जइ, पमज्जित्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ अब्भुक्खित्ता सरसेणंगोसीसचंदणेणं अणुलिंपइ, अणुलिंपित्ता अग्गेहि

Loading...

Page Navigation
1 ... 1428 1429 1430 1431 1432 1433 1434 1435 1436 1437 1438 1439 1440 1441 1442 1443 1444 1445 1446 1447 1448 1449 1450 1451 1452 1453 1454 1455 1456 1457 1458 1459 1460 1461 1462 1463 1464 1465 1466 1467 1468 1469 1470 1471 1472 1473 1474 1475 1476 1477 1478 1479 1480 1481 1482 1483 1484 1485 1486 1487 1488 1489 1490 1491 1492 1493 1494 1495 1496 1497 1498 1499 1500 1501 1502 1503 1504 1505 1506 1507 1508 1509 1510 1511 1512 1513 1514 1515 1516 1517 1518 1519 1520 1521 1522 1523 1524 1525 1526 1527 1528 1529 1530 1531 1532 1533 1534 1535 1536 1537 1538 1539 1540 1541 1542 1543 1544 1545 1546 1547 1548 1549 1550 1551 1552 1553 1554 1555 1556 1557 1558 1559 1560 1561 1562 1563 1564 1565 1566 1567 1568 1569 1570 1571 1572 1573 1574 1575 1576 1577 1578 1579 1580 1581 1582 1583 1584 1585 1586 1587 1588 1589 1590 1591 1592 1593 1594 1595 1596 1597 1598 1599 1600 1601 1602 1603 1604 1605 1606 1607 1608 1609 1610 1611 1612 1613 1614 1615 1616 1617 1618 1619 1620 1621 1622 1623 1624 1625 1626 1627 1628 1629 1630 1631 1632 1633 1634 1635 1636