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महावीर -कालिक मत-मतान्तर
भ. महावीर के समय अजितकेश कंबल, प्रकुध कात्यायन, मंखलि गोशाल, पूरण काश्यप, गौतम बुद्द और संजय लट्ठ - पुत्त, ये अपने को तीर्थंकर कह कर अपने अपने मतों का प्रचार कर रहे थे।
इनके अतिरिक्त श्वे. औपपातिक सूत्र की टीका में तथा अन्य शास्त्रों में भ. महावीर के समय में निम्न लिखित तापसों का उल्लेख मिलता है
१ होत्तिय अग्निहोत्र करने वाले
२ पोत्तिय वस्त्रधारी तापस
३ कोत्तिय भूमि पर सोने वाले
४ जण्णई-यज्ञ करने वाले
५ सई श्रद्धा रखने वाले
६ सालई - अपना सामान साथ लेकर घूमने वाले
७ हुँबउट्ठा कुणिडक साथ में लेकर भ्रमण करने वाले
८ दंतुक्खलिया फल खाकर रहने वाले
९ उम्मज्जका उन्मज्जन मात्र से स्नान करने वाले
१० सम्मज्जका - कई बार गोता लगाकर स्नान करने वाले
११ निम्मजका क्षण मात्र में स्नान कर लेने वाले
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१२ संपक्खला- मिट्टी घिस कर स्नान करने वाले
१३ दक्खिण कूलगा गंगा के दक्षिण किनारे पर रहने वाले
१४ उत्तर - कूलगा - गंगा के उत्तर किनारे पर रहने वाले
१५ संख-धम्मका शंख बजाकर भोजन करने वाले
१६ कूल - धम्मका - तट पर शब्द करने के भोजन करने वाले
१७ मिगलुद्धका - पशुओं की शिकार करने वाले
१८ हत्थितावसा- हाथी मारकर अनेक दिनों तक उसके मांस भोजी
१९ उद्दण्डका - दण्ड ऊपर करके चलने वाले
२० दिसापोक्खिणा चारों दिशाओं में जल छिड़क कर फल-फूल एकत्र करने वाले
२१ वाकवासिण - बल्कलधारी
२२ अंबुवासिण जल में रहने वाले
२३ बिलवासिण- बिल-गुफादि में रहने वाले
२४ जलवासिण जल में डूब कर रहने वाले
२५ वेलवासिण समुद्र तट पर रहने वाले
२६ रुक्खमूलिया वृक्षों के नीचे रहने वाले
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२७ अंबुभक्खिण - केवल जल पीकर रहने वाले
२८ वायुभक्खिण- पवन भक्षण कर रहने वाले
२९ सेवालभक्खिण-सेवाल (काई) खाकर रहने वाले
३० मूलाहार केवल मूल खाने वाले
३१ कंदाहार- केवल कन्द खाने वाले
३२ तयाहार केवल वृक्ष की छाल खाने वाले
३३ पत्ताहारा - केवल पत्र खाने वाले
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