Book Title: Virodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 370
________________ पर्यट पर्वत पलाश पल पलित पल्लव पाणि पाथेय पाथोज पाद पादप पामर पायस पिक पिच्छिल पित्सत् पीयूष पुरु पुलोमजा पुंस्कोकिल पूत पूतना पूषन् पृथ्वीसुत पृदाकु प्रच्छन्न प्रजरति प्रणय प्रतति प्रतिरूपक प्रतीची प्रत्यक्ष ज्ञान प्रत्यभिज्ञा घूमने वाला पहाड़ Jain Education International ढाक क्षण, मांस वृद्धता की सफेटी किशलय हाथ मार्ग का भोजन कमल किरण, चरण वृक्ष दीन, नीच, किसान खीर कोयल कीचड़ वाला शिशुपक्षी अमृत ऋषभदेव इन्द्राणी नर कोयल पवित्र एक राक्षसी सूर्य मङ्गल, वृक्ष सर्प गुप्त, छिपा हुआ वृद्धा प्रेम विस्तार प्रतिबिम्ब पश्चिमदिशा विशद और साक्षात्कारी ज्ञान प्रत्यभिज्ञान 277 प्रपा प्रमदा प्लवङ्ग प्रवित प्रसत्ति प्रसव प्रसून प्राची प्रावरण प्रावृष् प्रासाद प्रास्कायिक प्रोच्छनक प्रोथ फिरङ्गी बलाहक बाम्बूल बाहु-बन्ध बोध भगण भसद भामिनी भावन भावबन्ध भाल भास्वत् भुजङ्ग भूमिरुह भेक भोगभुक् मधवन् मज्जुल मंजुलापिन् For Private & Personal Use Only प्याऊ स्वी वानर जानी प्रसन्नता मञ्जरी पुष्प पूर्व दिशा आच्छादन, कोट वर्षा ऋतु महल अंग-निरीक्षक ऐक्सरे अंगोछा नितम्ब प्रदेश अंग्रेज मेथ बबूल वृक्ष भुज-बन्ध ज्ञान नक्षत्र समूह भंयकर स्त्री भवनवासी देव निदान ललाट सूर्य 10% सर्प वृक्ष मेंढक भोगी, सर्प - भक्षी मयूर इन्द्र सुन्दर मधुरभाषी www.jainelibrary.org

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