Book Title: Virodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 371
________________ VUU मण्ड मण्डल रथ्या गली . मतल्ल मधु मनाक् मन्दार मयूख मराल मर्जू मर्त्य महिष महिषी माकन्द मितंपच मित्र मित्र मिलिन्द रोटिका रोष TTTTTTT2781CNTTTrrrrrrr मांड, कृत्य रत्नाकर समुद्र कुत्ता रथाङ्गिन् चकवा प्रख्यात वसन्त, शहद रद दांत थोड़ा, अल्प रय वेग वृक्ष विशेष, आकड़ा रस जलस्वाद, पारद आदि किरण रसज्ञ रस ज्ञाता हंस रसा पृथ्वी, जिह्वा कृपा रसायनाधीश्वर वैद्य, वर्षाकाल मानव रसाल आम भैंसा रूष क्रोध रानी या भैंस रोचिष् कान्ति आम का वृक्ष रोटी कृपण रोलम्ब भ्रमर सुहृत् क्रोध रौरव एक नरक लास्य नृत्य मछली लोचन नेत्र दर्पण वक्षोज स्तन शिव वठर कमल-दण्ड वणिक्पथ बाजार प्रातिपदिकसंज्ञा वतंस भूषण बुद्धि वदतांवर अच्छा बोलने वाला आचार्य श्रेष्ठ मेवा, सूखे फल वदान्य उदार अवसर वधूटी छात्र, शिष्य वन्ध्या बांझ ज्योतिषी वत बोने वाला वप्र परकोटा संयोग वमि वमन अप्राप्त की प्राप्ति वयस्या सखी दरिद्र परकोटा ऋतुमती वर्त्मन् मार्ग शब्द वर्व - धूर्त सूर्य भ्रमर मीन मुकुर मृणाल मृत्त्व मेधा मेवा मौका मौढ्य मौहूर्तिक यामिनी स्त्री रात्रि युति योग वरण रजस्वला रणन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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