Book Title: Virodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 373
________________ कररर श्वश्रू र ररररररररररररर सास सुभास जघन सुपर्वन् गिद्ध पक्षी देव भ्रमरी सुपर्वभू सुपीठ स्वर्ग सुन्दर आसन ज्योतिष के ६ वर्ग समीप सजीव सुम पुष्प वसन्त केशर सुमाशय सुरप इन्द्र सुराद्रि सस्त्रीकता घर सुमेरु क्षीण सुरीण सूची अन्नक्षेत्र, सदावर्त सूपकार साथ सेतु सोम श्रोणी षट्पदी षड्वर्गक सकाश सचित्त सटा सदारता सद्मन् सत्तम सत्र सत्रा सत्वर सधर्मिणी सप्तच्छद समक्ष समिद्धि समीर समीरण सरित् सव सवितृ सहकार सहस्ररश्मि साकम् सान्द्र सायम् शीघ्र स्त्री सप्तपर्ण, सात पत्ते वाला वृक्ष प्रत्यक्ष प्रकाशमान सौगन्धिक सौध संगर संविधा रसोईदार पुल चन्द्र संघकर भूमि-गत वस्तु का जानने वाला महल युद्ध, वाद समूह सभा अनेक परमाणुओं का समूह गुच्छा चोर वायु संसद वायु नदी अभिषेक आम सूर्य स्तबक स्तेयिन् स्तोम स्मय स्मर स्यूति स्राक् साथ घना सित स्तुति आश्चर्य काम उत्पत्ति शीघ्र टपकना सोता, झरना चित्त पसीना सिंह सिंहासन सन्ध्या काल शुक्ल समुद्र सुव्याप्त सुहृदय, विद्वान उत्तमाला-धारक अमृत सिन्धु सुकन्दत्व सुचित् सुदामन् सुधा सुधाकर सुधांशु सुनाशीर स्रोतस् स्वान्तस् स्वेद हरि हरिविष्टर हिमारि हषीक चन्द्र चन्द्र सूर्य इन्द्रिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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