Book Title: Virodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 366
________________ लक्ष्मी यज्ञ प्राणी गर्व सूर्य जल रररररररररररररररररररररररररररररर अलि भ्रमर इन्दिरा अवट कूप, खड्डा चन्द्र अवनिपाल - राजा इला भूमि अवश्याय हिम इष्टि अवाची दक्षिणदिशा ईरण प्रेरणा अविनाभू अविनाभावी ईशायिता ईसाईपन अवीर एकरंग, गुलाल उच्चय समूह अशन भोजन उच्छिष्ट जूठा असु प्राण उज्जवर उज्जवल असुभृत उडु नक्षत्र असृज् उत्सङ्ग गोद अस्तिकाय बहुप्रदेशी द्रव्य उत्सेक अहस्कर उदक अहिपति सर्पराज उदीची उत्तरदिशा अहीन शेषनाग उपायन भेंट, नजराना अंशकिन् विचारशील उरग आगार उरु आखु चूहा उवीं आचमन जलपान उलूक उल्लू आण नाम उल्का बिजली आतपत्र छत्र उशीर खस आतोद्य बाजा ऊह तर्क आत्मनीन आत्माका हित एण आरात् दूर, समीप पाप आलबाल क्यारी स्थान आली सखी औतुक बिलाव आशुकारिन् शीघ्रकर्ता क आशुग वाण, वायु कुकुभ् दिशा आस्य ककुल्य सुखी इङ्गित चेष्टा कङ्कोडुक नहीं सीझने वाला इङ्गिनी चेष्टावाली कच स्वामी, सूर्य कञ्ज कमल समृद्ध कबरी केश-कलाप सर्प जंघा गृह पृथ्वी मृग एनस् ओकस् जल मुख केश. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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