Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पृष्ठ
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क्रं. विषय
| क्रं. विषय. ७. अरति परीषह
| असंस्कृत नामक चौथा अध्ययन ६६-७५ ८. स्त्री परीषह 8. चर्या परीषह
| ५३. असंस्कृत जीवन .१०. निषधा परीषह .
५४. वैरानुबद्धता का परिणाम ११. शय्या परीवह
५५. किये हुए कर्मों का परिणाम निश्चित १२. आक्रोश परीषह
५६. कर्म फल भोग में कोई भागीदार नहीं १३. वध परीषह
५७. धन, रक्षक नहीं है १४. याचना परीषह १५. अलाभ परीषह
५८. अप्रमत्तता का संदेश १६. रोग परीष्ठ
५६. स्वच्छंदता-निरोध १७. तृण स्पर्श परीषह
६०. शाश्वतवादियों का कथन एवं - - १८. जल्ल परीषह,
. अन्य से तुलना १८. सत्कार पुरस्कार परीषह
६१. प्रतिक्षण अप्रमत्त भाव २०. प्रज्ञा परीषह २१. अज्ञान परीषह
६२. द्वेष-विजय - २२. दर्शन परीक्षह
६३. राग-विजय ४०. उपसंहार
.
६४. सद्गुणों की आकांक्षा चतुरंगीय नामक तीसरा अध्ययन५४-६५
___अकाम मरणीय नामक पांचवां ४१. चार परम अंग
. अध्ययन ७६-९१ ४२. मनुष्य जन्म की दुर्लभता . ५६ | ६५. मरण के स्थान ४३. मनुष्य जन्म की प्राप्ति का उपाय
६६. अकाम मरण का स्वरूप ४४. श्रुतिधर्म की दुर्लभता
५६ ६७. कामभोगासक्त पुरुष की विचारणा ४५. श्रद्धा परम दुर्लभ
| ६८. विषयलोलुप पुरुषों की प्रवृत्ति ४६. संयम में पराक्रम ..
६६. इह-पारलौकिक दुष्फल का भय ४७. दुर्लभ चतुरंग प्राप्ति का फल ।
७०. गाड़ीवान् का दृष्टान्त . ४८. जीवन मुक्त का स्वरूप
७१. सकाम मरण का स्वरूप ४६. हितकर उपदेश
७२. सकाम मरणोत्तर स्थिति ५०. देवलोकों की प्राप्ति
७३. साधक का कर्तव्य ५१. दस अंगों सहित उत्पत्ति
७४. उपसंहार ५२. उपसंहार .
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