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मर्मस्पर्शी शब्द बोलने, गुप्त बात प्रकट करने वगैरह इन पापकर्मों का जघन्य (कम से कम ) उदय हो तो दसगुना फल मिलता है । अर्थात् एक बार जीव को मारने आदि से वह जीव उसे दस बार मारने आदि वाला होता है । मतलब है कि इन गुनाहों में से किसी भी गुनाह का सामान्य प्रतिफल दसगुना मिलता है ॥१७७॥
तिव्वयरे उ पआसे, सयगुणिओ सयसहस्सकोडिगुणो । कोडाकोडिगुणो वा, हुज्ज विवागो बहुतरो वा ॥१७८॥
शब्दार्थ : परंतु ऊपर बताये गये पाप तीव्रतर द्वेष से (अतिक्रोध आदिवश) किये जायें तो सौ गुना विपाक ( प्रतिफल ) उदय में आता है। उससे भी अधिक तीव्रतर द्वेष से क्रमश: हजार गुना, लाख गुना, करोड़ गुना विपाक उदय में आता है और उससे तीव्रतम अतिशय द्वेष - क्रोध आदि से या वधादिक पाप करने से कोटाकोटीगुणा अथवा इससे भी अधिक विपाक उदय में आते हैं । अर्थात् जैसे कषाय से कर्म बांधा होगा वैसा ही विपाक उदय में आता है और उसे उतनी मात्रा में वह प्रतिफल भोगना ही पड़ता है ॥१७८॥ केइत्थ करेंताऽऽलंबणं, इमं तिहुयणस्स अच्छेरं । जह नियमा खवियंगी, मरुदेवी भगवई सिद्धा ॥ १७९ ॥
शब्दार्थ : कई भोले और स्थूलबुद्धि वाले लोग वधादि के प्रतिफल के बारे में तीनों लोक में आश्चर्यजनक इस खोटे
उपदेशमाला
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