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जा सा सा सा का दृष्टांत
श्री उपदेश माला गाथा ३३ चोरों का स्वामी बन गया। एक दिन उन सभी ने एकत्रित होकर उसी गाँव में डाका डाला। वह कामासक्त कन्या, जो अब जवान हो गयी थी, मिली। चोरों ने उसे देखा तो पूर्वजन्म के स्नेहवश वे सब कामातुर हो गये। उस कन्या ने भी चोरों से कहा'आप मुझे अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करें।' मोहित चोरों ने उसकी प्रार्थना सुनकर उसे स्वीकार कर ली। इस प्रकार वह कामासक्त कन्या पाँच सौ चोरों की पत्नी बनी। उसकी कामलोलुपता इतनी बढ़ी हुई थी कि उसे पाँच सौ पुरुषों से भी संतोष नहीं होता था। "अहो स्त्रीणां कामलौल्यं" स्त्रियों की कामलोलुपता कैसी है? कहा है कि
नाग्निस्तृप्यति काष्ठौघैनापगाभिर्महोदधिः ।
नान्तकः सर्वभूतेभ्यो, न पुंभिर्वामलोचना ||३८||
अर्थात् - इन्धनों के ढेर से अग्नि तृप्त (शांत) नहीं होती; नदियों (के पानी) से समुद्र तृप्त नहीं होता; सर्व-जीवों से यमराज तृप्त नहीं होता और पुरुषों से कामिनी तृप्त नहीं होती ||३८|| और भी कहा हैनागरजातिरदुष्टा, शीतो वह्निर्निरामयः कायः ।
स्वादु च सागरसलिलं स्त्रीषु सतीत्वं न संभवति ||३९||
अर्थात् नागर जाति में सरलता, अग्नि में शीतलता, काया में निरोगता, समुद्रजल में मिठास और स्त्रियों में सतीत्व रहना सम्भव नहीं है ।। ३९ ।। एक दिन चोरों ने विचार किया - "यह अकेली स्त्री हम पाँच सौ पुरुषों के सहवास से दुःखी होती होगी, इसीलिए एक और स्त्री को ले आवें।" इस प्रकार उस पर दया लाकर वे दूसरी स्त्री ले आये। नयी स्त्री को देख पहले की स्त्री ने विचार किया - "अहो ! मेरे होते हुए भी ये दूसरी स्त्री ले आये हैं, यह मेरे विषयसुख में हिस्सेदार होकर मेरे विषयसुख में रुकावट डालेगी।" यह सोचकर उस दुष्टा ने एक दिन उस नयी स्त्री को कुएं में गिरा दी; कुएँ में पड़ते ही वह स्त्री मर गयी । पल्लीपति को इस बात का पता लगा तो उसने विचार किया - "अहो ! यह तो बनी-बनायी काम रूपी महाग्नि है और महापापिनी है, यह तीव्र कामराग वाली कही मेरी बहन तो नहीं है?" अपने इस संशय को मिटाने के लिए पल्लीपति श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के समवसरण में गया, और उन्हें वंदनकर उसने पूछा - "हे भगवन्! या सा सा सेति ? अर्थात् यह वही है ?" भगवान् ने कहा – “सा सा सेति?" अर्थात् "वह वही है।" यह सुनते ही उसे वैराग्य प्राप्त
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हो गया और भगवान् से व्रत अंगीकार कर वह शुभगति का अधिकारी हुआ ।
गौतम स्वामी ने प्रभु से पूछा - "भगवन्! आपको पल्लीपति ने पूछा था
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