Book Title: Suyagadanga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री सूयगडांग सूत्र श्रुतस्कन्ध १ 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 ... ते णावि संधिं णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा।
जे ते उ वाइणो एवं, ण ते दुक्खस्स पारगा ॥२४॥
भावार्थ - वे अन्यतीर्थी सन्धि को जाने बिना ही क्रिया में प्रवृत्त होते हैं तथा वे धर्मज्ञ नहीं है । पूर्वोक्त प्रकार से मिथ्यासिद्धान्त की प्ररूपणा करने वाले वे अन्यतीर्थी दुःख को पार नहीं कर सकते हैं अर्थात् वे दुःख से छुटकारा नहीं पा सकते हैं ।। २४॥
ते णावि संधि णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, ण ते मारस्स पारगा ॥ २५॥ कठिन शब्दार्थ - मारस्स पारगा - मृत्यु को पार करने वाला।
भावार्थ - वे अन्यतीर्थी सन्धि को जाने बिना ही क्रिया में प्रवृत्त होते हैं । वे धर्म को नहीं जानते हैं अतः पूर्वोक्त मिथ्यासिद्धान्त की प्ररूपणा करने वाले वे लोग मृत्यु को पार नहीं कर सकते हैं अर्थात् बारम्बार मृत्यु को प्राप्त होते रहते हैं । _ विवेचन - गाथा १९ से लेकर २५ तक में अन्य मतावलम्बियों के मत का कथन किया गया है। उनके कथन का निष्कर्ष है -
सर्वान् धर्मान् परित्यज्य, मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वाम् सर्वपापेभ्यो, मोक्षयिष्यामि मा शुच॥
अर्थ - सब धर्मों को छोड़ कर तुम मेरी शरण में आ जाओ अर्थात् मेरे मत को स्वीकार कर लो फिर तुम किसी बात का विचार और फ्रिक मत करो। मैं तुमको सब पापों से छुड़ा कर मोक्ष में पहुंचा
दूंगा।
- इस प्रकार का अन्य मतावलम्बियों का कथन सर्वथा अनुचित तथा मिथ्यात्व पूर्ण है। क्योंकि जो प्राणी जैसा कर्म करता है जैसे कर्म बांधता है वैसा ही उसका फल वह स्वयं भोगता है और भोग कर उस कर्म से छुटकारा पाता है। कर्म एक प्राणी करे और दूसरा उसका फल भोग कर अथवा फल भोगे बिना ही उस प्राणी को कर्मों से छुटकारा दिला दे ऐसा कभी हुआ नहीं, होता नहीं और होवेगा भी नहीं। ये अन्य मतावलम्बी अन्य-दूसरों को धोखा देते ही है किन्तु अपनी आत्मा को भी धोखा देते हैं।
इन उपरोक्त गाथाओं में अन्य मतावलम्बियों के लिये ओघ गर्भ आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है उनका अर्थ इस प्रकार है - .
१. ओघ - संसार का प्रवाह ।
२.संसार-'संसरन्ति गमनागमनं कुर्वन्ति प्राणिनो अस्मिन् इति संसारः।' अर्थात् प्राणी जिसमें निरन्तर आवागमन करते रहते हैं।
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