Book Title: Suyagadanga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 306
________________ अध्ययन १३ २९३ 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 ण पूयणं चेव सिलोय-कामी, पिय-मप्पियं कस्सइ णो करेज्जा। सव्वे अणटे परिवज्जयंते, अणाउले या अकसाई भिक्खू ॥२२॥ . कठिन शब्दार्थ - पूयणं - पूजा का, सिलोयकामी - आत्म श्लाघा का अभिलाषी, पियमप्पियं - प्रिय अप्रिय, अणटे - अनर्थ का, परिवजयंते - परिवर्जन करता हुआ, अणाउले - आकुलता रहित, अकसाई - कषाय रहित । भावार्थ - साधु धर्मोपदेश के द्वारा अपनी पूजा और स्तुति की कामना न करे तथा किसी का प्रिय और किसी का अप्रिय न करे एवं वह सब अनर्थों को वर्जित करता हुआ आकुलता रहित और कषायरहित होकर धर्मोपदेश करे । विवेचन - साधु पूजा (वस्त्र, पात्र आदि के लाभ रूप) की इच्छा न करें तथा अपनी प्रशंसा की कामना भी ना करें। परिषद् को जानकर एवं श्रोता के अभिप्राय को समझकर धर्मोपदेश करे एवं दृढ़ता के साथ अपने संयम का पालन करे। आहत्तहियं समुपेहमाणे, सव्वेहिं पाणेहिं णिहाय दंडं। ' णों जीवियं णो मरणाभिकंखी, परिवएज्जा वलया-विमुक्कं ।।त्तिबेमि॥ - कठिन शब्दार्थ - आहत्तहियं - याथातत्थ्य-सत्य भाव को, समुपेहमाणे - देखता हुआ, णिहाय - छोड कर, मरणाभिकंखी - मरण की इच्छा से रहित, परिवएज्जा - विचरे, वलया - वलय से, माया से, विमुक्कं - विमुक्त होकर ।। .. भावार्थ - साधु सच्चे धर्म को देखता हुआ सब प्राणियों को दण्ड देना छोड़कर, अपने जीवन और मरण की इच्छा से रहित होकर माया को त्याग कर विचरे । विवेचन - मुनि सूत्र के अनुसार सम्यक्त्व और चारित्र का विचार कर छह काय जीवों की रक्षा करता हुआ संयम का पालन करे। संयम में आने वाले परीषह उपसर्गों से घबराकर बाल मरण की इच्छा न करें। धीर-वीर पुरुष परीषह उपसर्गों को जीतकर शुद्ध संयम का पालन करता हुआ मुक्ति को प्राप्त कर लेता है। ___- इति ब्रवीमिअर्थात् - श्री सुधर्मास्वामी अपने शिष्य जम्बूस्वामी से कहते हैं कि हे आयुष्मन् जम्बू ! जैसा मैंने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के मुखारविन्द से सुना है वैसा ही मैं तुम्हें कहता हूँ। मैं अपनी मनीषिका (बुद्धि) से कुछ नहीं कहता हूँ। ॥याथातथ्य नामक तेरहवां अध्ययन समाप्त। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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