Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
View full book text
________________
www.vitragvani.com
__ मोक्ष का उपाय - भगवती प्रज्ञा भगवती प्रज्ञा :
आत्मा और बन्ध किसके द्वारा द्विधा किए जाते हैं ? ऐसा पूछने पर उसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि -
जीव बन्ध दोनों नियत निज निज लक्षण से छेदे जाते हैं। प्रज्ञाछैनी द्वारा छेदे जाने पर दोनों भिन्न-भिन्न हो जाते हैं। 294॥
अर्थात् – जीव और बन्धभाव को भिन्न करना आत्मा का कार्य है और उसे करनेवाला आत्मा है। मोक्ष आत्मा की पवित्रदशा है और उस दशारूप होनेवाला आत्मा है; परन्तु उसरूप होने का साधन क्या है, उसका उपाय क्या है ? उसके उत्तर में कहते हैं कि उस भगवती प्रज्ञा के द्वारा ही आत्मा के स्वभाव को और बन्धभाव को पृथक् जानकर छेदे जाने पर मोक्ष होता है। आत्मा का स्वभाव बन्धन से रहित है, इस प्रकार जाननेवाला सम्यक्ज्ञान ही बन्ध
और आत्मा को पृथक् करने का साधन है। यहाँ (भगवती) विशेषण के द्वारा आचार्यदेव ने उस सम्यक्ज्ञान की महिमा बतायी है।
चेतक-चेत्यभाव :___ आत्मा और बन्ध के निश्चित लक्षण भिन्न हैं, उनके द्वारा उन्हें भिन्न-भिन्न जानना चाहिए। आत्मा और बन्ध में चेतक-चेत्य सम्बन्ध है अर्थात् आत्मा जाननेवाला चेतक है और बन्धभाव उसके ज्ञान में ज्ञात होता है; इसलिए वह चेत्य है। बन्धभाव में चेतकता नहीं है और चेतकता में बन्धभाव नहीं है। बन्धभाव स्वयं
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.