Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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[सम्यग्दर्शन : भाग-1 जाती । परमाणु वस्तु है, वह तो सभी अवस्थाओं में परमाणुरूप ही रहती है। वस्तु कभी भी अपने स्वरूप को नहीं छोड़ती। श्रीमद् राजचन्द्र ने कहा है -
क्यारे कोई वस्तुनो केवल होय न नाश। चेतन पामे नाश तो केमां भले तपास?
(-आत्मसिद्धि 70) जड़ अथवा चेतन किसी भी वस्तु का कभी सर्वथा नाश नहीं होता। यदि ज्ञानस्वरूप चेतनवस्तु नाश को प्राप्त हो तो वह किसमें जाकर मिलेगी? चेतन का नाश होकर क्या वह जड़ में घुस जाता है ? ऐसा कदापि नहीं हो सकता। इसलिए यह स्पष्ट है कि चेतन सदा चेतनरूप परिणमित होता है और जड़रूप सदा जड़ परिणमित होता है; किन्तु वस्तु का कभी नाश नहीं होता।
पर्याय के बदलने से वस्तु का नाश मान लेना अज्ञान है और यह मानना भी अज्ञान है कि वस्तु की पर्याय को दूसरा बदलवाता है। वस्तु कभी भी बिना पर्याय के नहीं होती और पर्याय कभी भी वस्तु के बिना नहीं होती।
जो अनेक प्रकार की अवस्थायें होती हैं, वे नित्य, स्थिर रहनेवाली वस्तु के बिना नहीं हो सकती। यदि नित्य स्थिर रहनेवाला पदार्थ न हो तो अवस्था कहाँ से आये? दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादि सब अवस्थायें हैं, उसमें नित्य स्थिर रहनेवाली मूलवस्तु परमाणु है। दूध इत्यादि पर्यायें हैं, इसलिए वे बदल जाती हैं, किन्तु उस किसी भी अवस्था में परमाणु अपने परमाणुपन को नहीं छोड़ता, क्योंकि वह वस्तु है, द्रव्य है।
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