Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 310
________________ www.vitragvani.com 294] [सम्यग्दर्शन : भाग-1 प्रणीत परम सत्यमार्ग के अतिरिक्त इन छह द्रव्यों का यथार्थ स्वरूप अन्यत्र कहीं है ही नहीं। द्रव्य की शक्ति : द्रव्य की विशेष शक्ति (चिह्न-विशेष गुण) के सम्बन्ध में पहले संक्षेप में कहा जा चुका है। एक द्रव्य की जो विशेषशक्ति होती है, वह अन्य द्रव्यों में नहीं होती; इसलिए विशेषशक्ति के द्वारा द्रव्य के स्वरूप को पहचाना जा सकता है। जैसे -ज्ञान, जीवद्रव्य की विशेषशक्ति है; जीव के अतिरिक्त अन्य किसी भी द्रव्य में ज्ञान नहीं है; इसलिए ज्ञानशक्ति के द्वारा जीव पहचाना जाता है। अब, यहाँ द्रव्यों की सामान्यशक्ति के सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है। जो शक्ति सभी द्रव्यों में होती है, उसे सामान्यशक्ति (सामान्यगुण) कहते हैं। अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व और प्रदेशत्व-ये छहों सामान्यगुण मुख्य हैं, वे सभी द्रव्य में हैं। ___ अस्तित्वगुण के कारण द्रव्य के अस्तित्व का कभी नाश नहीं होता। द्रव्य अमुक काल के लिये हैं और उसके बाद नष्ट हो जाते हैं - ऐसी बात नहीं हैं। द्रव्य नित्य स्थिर रहनेवाले हैं। यदि अस्तित्वगुण न हो तो वस्तु नहीं रह सकती और यदि वस्तु ही न हो तो फिर किसे ( समझना ) समझाना है? । वस्तुत्वगुण के कारण द्रव्य अपना प्रयोजनभूत कार्य करता है। द्रव्य स्वयं अपने गुण-पर्यायों का प्रयोजनभूत कार्य करते हैं। एक द्रव्य दूसरे अन्य द्रव्य का कोई भी कार्य नहीं कर सकता। द्रव्यत्वगुण के कारण द्रव्य निरन्तर एक अवस्था में से दूसरी Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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